हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आप की नई पोस्ट में इसमें हम बात करने वाले हैं तिरप के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में, वैसे तो तिरप में घूमने लायक बहुत सी जगह है लेकिन आज हम केवल यहां के प्रसिद्ध जगहों के बारे में बात करने वाले हैं साथ ही इसी लेख में हम यहां का स्थानीय खान पान के बारे में भी बात करने वाले हैं
पहाड़ों की खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ तिरप भारत के पर्वतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक खूबसूरत जिला है 1170 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले हुए इस जिले की कुल जनसंख्या सन 2011 की जनगणना के अनुसार 55022 है इतिहास पर नजर डालें तो तिरप का इतिहास के बारे में पता चलता है कि जापानी साम्राज्य के पतन के बाद प्राचीन काल से ही यहां आदिवासियों का निवास स्थान हुआ करता था चांगलांग जिले से अलग होने के बाद 14 नवंबर 1987 को इसे अलग जिले के रूप में मान्यता प्राप्त हुई अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए तो तिरप जिला प्रसिद्ध है ही साथ ही है यहां स्थित धार्मिक और दार्शनिक स्थलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है व्यवसायिक तौर पर देखें तो जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि हैं किसी के माध्यम से ही लोग अपनी आजीविका उत्पन्न किया करते हैं और पर्यटक कुछ हद तक लोगों की रोजगार का कारण बना है,
तिरप की वेशभूषा पहनावा एक सामान्य रूप की हैं एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां के लोग अपनी संस्कृति और रीति रिवाज के हिसाब से ही वस्त्र धारण किया करते हैं इसलिए यह एक अलग ही संस्कृति देखने को मिलती हैं अरुणाचल प्रदेश में महिलाएं और पुरुषों का पहना एक विशिष्ट प्रकार का है सामान्य दिनचर्या में वहां के लोग यहां के पुरुषों का पहनावा एक लूंगी और एक झबला नुमा वस्त्र होता है जो कि उसे वह कमर से ऊपरी भाग पर पहना करते हैं इसके अलावा यहां के लोग वर्ष के महोत्सव और उत्सव पर पूरे अपने वेशभूषा में आते हैं और इसी के साथ ही वहां अपने आकर्षण आभूषणों के साथ सजे धजे होते हैं जिससे वह पूरी तरह तिरप की निवासी लगते हैं
जिस प्रकार से तिरप की संस्कृति और पहनाव खास है ठीक इसी प्रकार से यहां के खाने के व्यंजनों का स्वाद भी अपने आप में कम प्रसिद्ध नहीं है यहां पर जो भोजन का प्रयोग किया जाता है कुछ स्वदेशी और कुछ विदेशी होता है यहां के स्थानीय सामग्री का स्वाद ही कुछ अलग है यहां पर दिन की शुरुआत एक स्वादिष्ट खाने के साथ होती है जिसमें वह खोरा और पोचा का इस्तेमाल किया करते हैं चावल यहां की भोजनों के ब्यंजनो में मुख्य अंग है इसके बिना सभी व्यंजन अधूरे हैं और यहां के चावल भी काफी स्वादिष्ट होते हैं क्योंकि उन्हें एक अलग ही विधि द्वारा पकड़ा जाता है और खुल्लम संस्करण चावल बनाने का एक प्रचलित तरीका है दिन के खाने में यहां पर करी अंडा दाल तड़का और चावल के साथ साथ पीका पीला और थूपका खाना काफी स्वादिष्ट और प्रसिद्ध भी हैं रात्रि के भोजन में यहां पर रोटी सब्जी के अलावा वह वूंग वूत नगम, पिहक ,पाशा और नेक टॉक आदि व्यंजन सम्मिलित हैं
- जिला संग्रहालय
- खोंसा झरना
- लाजो गांव
- खोंसा म्यूज़ियम
जिला संग्रहालय – तिरप जिले का जिला संग्रहालय तिरप के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल मैं से एक है अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति और परंपरा को एक सूत्र में संजोतें इस खूबसूरत संग्रहालय का निर्माण सन 1956 में किया गया था इस संग्रहालय में आपको अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति से संबंधित कई तरह की वस्तुएं और चित्र शैली देखने को मिल जाती है जो कि एक खूबसूरत स्थान को और ज्यादा आकर्षक बनाती है हर साल हजारों की संख्या में पर्यटकों का आना जाना जिला संग्रहालय में लगा रहता है इसलिए यह आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है
खोंसा झरना – खोंसा शहर के समीप में स्थित खोंसा झरना भी उन लोगों में से एक है जहां पर पर्यटक काटते सुंदरता के साथ सुकून के दो पल बिताने के लिए आया करते हैं एक ऊंचे पहाड़ से बहता हुआ पानी और उसके दोनों तरफ पहाड़ों में बसे खूबसूरत से पौधे इसके दृश्य को और ज्यादा आकर्षक बनाते हैं पहाड़ से गिरते हुए पानी की आवाज और पशु पक्षियों की सुंदर सी चहचाहट की मधुर ध्वनि आप के कानों को दो पल के लिए सुकून देने वाले हैं,
खोंसा म्यूज़ियम – हिमाचल प्रदेश और तिरप के लोगों की जीवन शैली को प्रदर्शित करता खोंसा म्यूजियम तिरप के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल मैं से एक है यदि आप लोग एक ऐसी जगह की तलाश में है जहां पर एक ही स्थान पर आपको संस्कृति और परंपरा से संबंधित चित्र शैलियां और वस्तुएं देखने को मिल जाए तो हम आपको सलाह देंगे कि आप को खोंसा म्यूज़ियम के दर्शन जरूर करने चाहिए,
दोस्तों तिरप की यात्रा के उपरांत आपके यहां के दार्शनिक स्थलों की सैर करने के बावजूद भी हम आपको कुछ ऐसे कीजिए बता रहे हैं जिन्हें अपनी यात्रा के दौरान कर सकते हैं और हो सकता है यह चीजें करने में भी काफी सस्ती और सरल भी हो सकती हैं और आपको एक बात और बता दें कि यह सारी गतिविधियां समय के अनुकूल परिवर्तित होती रहती हैं
- बाइक सवार
- कैंपिंग
- क्लाइंबिंग
- एडवेंचर
- स्नो स्पोर्ट्स
- पैराग्लाइडिंग
- घुड़सवारी
दोस्तों अभी तक हम तिरप के बारे में जान चुके हैं और वहां के पर्यटक स्थल के बारे में भी जान चुके हैं अब हम यह भी देखेंगे कि यदि हम तिरप में घूमने के लिए जाते हैं तो वहां घूमने का सबसे अच्छा समय कौन-सा होगा , यात्रा का जो सबसे अच्छा समय माना जाता है वह होता है जब सभी लोगों की छुट्टियां होती है यानी कि यदि आप अपने दोस्तों के साथ आना चाहते हैं या परिवार के साथ तो छुट्टियां हो ना जरूरी है चाहे वह स्कूल से हो या नौकरी और बिजनेस से, छुट्टियां प्लान करने के बावजूद यदि बात की जाए सबसे अच्छे समय की तो तिरप में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है सितंबर से फरवरी के बीच दोस्तों यह वह समय होता है जब यहां आपको ठंडा मौसम मिलेगा यदि आपको बर्फ देखनी है तो आप दिसंबर जनवरी में जाकर यात्रा कर सकते हैं और यदि आपको यहां के पर्यटक स्थलों का आनंद अच्छे मौसम में खुल कर लेना है तो आप यहां सितंबर के बाद कभी भी आ सकते हैं,
दोस्तों यात्रा के दौरान आपको तिरप में कुछ दिन रुकना पड़ सकता है इसलिए हम आपकी सुविधा के लिए कुछ ऐसे होटल बता रहे हैं जो आपके बजट में हो सकते हैं और इन्हें आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं उनमें मैं आपको सभी प्रकार की सुविधाएं मिल जाएगी और इन होटलों में रहकर आप तिरप के स्थानीय खानपान का आनंद लेना बिल्कुल भी ना भूलें,
- होटल हिल टॉप
- खोंसा सर्किट हाउस
- यू डी गेस्ट हाउस
- होटल अजांग
- होटल जोजो