टिहरी गढ़वाल के दर्शनीय स्थल || Tehri Garwal Ke Darsniya Isthal

टिहरी गढ़वाल के दर्शनीय स्थल || Tehri Garwal Ke Darsniya Isthal 
हेलो दोस्तों आज हम बात करेंगे टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल के बारे में यदि आपको ट्रैवल करना और साहसिक खेल खेलना आपकी आदत है तो यह पोस्ट आप लोगों के लिए महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि हम कुछ ऐसी नई जगह के बारे में लिखने वाले हैं जो कि आपके रूचि के अनुसार हैं टेहरी गढ़वाल उत्तराखंड राज्य का एक जिला है चारों तरफ से पर्वतों के ढके होने के कारण यह बहुत खूबसूरत दिखाई देता है छोटी-छोटी घास हरियाली लिए बहुत अच्छी दिखाई देती है यह केवल देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से आने वाले सभी पर्यटकों को मनोनीत करती आ रही है हर साल काफी मात्रा में पर्यटक यहां पधारा करते हैं तथा उत्तराखंड की सुंदरता का आनंद लिया करते हैं दोस्तों जब भी मन को प्रसन्न करने वाले शहरों या स्थानों की बात कही जाती है तो सबके जुबान में बस एक ही शब्द आता है कि जहां शुद हवा पानी के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता का आनंद मिले लोग वही जाना ज्यादा पसंद करते हैं और वाकई में यह बात सत्य भी है प्रकृति में रहकर प्राकृति के नियमों का उल्लंघन करके हम मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते,

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टिहरी गढ़वाल के दर्शनीय स्थल || Tehri Garwal Ke Darsniya Isthal
 
 चम्बा -टिहरी गढ़वाल की प्रसिद्ध दर्शनीय स्थानों में सर्वप्रथम श्रेणी में चम्बा का नाम गिना जाता है चम्बा मसूरी से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1676 मीटर है चम्बा नरेंद्र नगर से 48 किलोमीटर तथा देवप्रयाग से इसकी दूरी बेहद 22 किलोमीटर है आपको जिस लोकेशन से यहां आने में सरल एवं साधन मिलते हैं आप वहीं से आ सकते हैं यहां आपको बर्फ से ढके पर्वत दिखाई देंगे जो कि सफेद रंग की चुनरी ओढ़े बेहद खूबसूरत दिखाई देती है आसपास बर्फ से ढके पर्वत और छोटे बड़े हरियाली लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ भी आपको देखने को मिलेंगे यदि आपको स्नोफॉल देखने का शौक है तो आप यहां आकर भी अपनी शौक को पूरा कर सकते हैं यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ एक पूजनीय स्थल के रूप में भी जाना जाता है कहा जाता है कि राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव को यज्ञ मैं निमंत्रण न देने के कारण माता सती ने इस यज्ञ कुंड में अपने प्राणों को समर्पित कर दिया था तब से यहां पर 3 मंदिरों का निर्माण किया गया है जिसके नाम सुरकंडा ,कुंजापुरी और तीसरी मंदिर का नाम चंद्रबदनी रखा गया हर साल यहां शिवरात्रि के महोत्सव में यहां पर कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है जिसमें लोग बड़े बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं
चम्बा धनोल्टी देवप्रयाग बूढ़ा केदार सेम मूखम, tehri gadwal ke darsniya isthal, uttrakhand ke darsniya isthal,
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धनोल्टीधनोल्टी टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक गांव है जो कि चम्बा से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है समुद्र तल से लगभग 1600 की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां का मौसम काफी ठंडा रहता है यदि आपका यहां घूमने का प्लान है तो आपको हम पहले ही बता दें कि सर्दियों में पहने जाने वाले कपड़े अपने साथ रखें ताकि आप मौसम के अनुकूल यहां की सुंदरता का आनंद ले सके चारों तरफ बर्फ से ढके ऊंचे ऊंचे पर्वत आपको देखने को मिलेंगे गांव में आपको देवदार एवं सदैव खेलने वाले गुलाब के पौधे आपको यहां दिखाई देंगे पिकनिक की दृष्टि से देखें तो यह जगह काफी अच्छी है भीड़भाड़ कम होने के कारण जो भी लोग यहां आते हैं वह जरूर प्रसन्न होते हैं यदि आपको शांतिपूर्ण इलाके की तलाश है तो यह आपके लिए अच्छा स्थान हो सकता है

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देवप्रयाग– टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थानों में देवप्रयाग का नाम भी लिया जाता है देवप्रयाग टिहरी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा वहीं यह मसूरी स्थित केंपटी फॉल से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 472 मीटर है यहां आपको अलकनंदा एवं भागीरथी नदी का संगम देखने को मिलेगा चारों तरफ हरियाली और दूर-दूर दिखते पर्वत मन में एक अनोखी तस्वीर क्रेट करते हैं यह जगह तपोभूमि के नाम से भी जाने जाती है यदि आप मसूरी या टेहरी गढ़वाल आ रखे हैं तो यहां के दर्शन आपको जरूर करने चाहिए
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बूढ़ा केदार -बूढ़ा केदार टिहरी गढ़वाल में स्थित एक जगह है जिसकी दूरी टिहरी गढ़वाल से लगभग 59 किलोमीटर है इस जगह घूमने का आपका फायदा यह होगा कि आपको यहां से बालगंगा और धर्म गंगा नदियों का आपस में संगम दिखाई देगा साथ ही यदि इसके इतिहास के बारे में जाने तो कहा जाता है कि दुर्योधन ने इसी जगह पर तर्पण किया था जिसके चलते बाद में पांडवों और ऋषि यों के बीच इस भिर्गु पर्वत पर लड़ाई हुई थी
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सेम मुखम– सेम मुखम टिहरी गढ़वाल जिले का एक गांव है जिसकी स्थापना भारतीय इतिहास के अनुसार पांडवों ने की थी समुद्र तल से इस गांव की ऊंचाई 2900 मीटर है इस गांव में एक मंदिर स्थित है जो कि भगवान नागराज को समर्पित है चारों तरफ पहाड़ पर्वत और उनके बीच में बसा यह गांव प्राकृतिक हरियाली और सुंदरता का एक अनोखा स्थल है

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केसे पहुंचे टिहरी गढ़वाल
यदि आप टिहरी गढ़वाल आना चाहते है तो यहां आने के लिए आपके सभी साधन मिल जायेगे ,रोड की पूरी कनेक्टविटी होने के कारण आप देश के किसी भी कोने से यहां आसानी से पहुंच सकते है, साथ ही भारतीय रेल सेवा भी यहां पे पूरी तरीके से जुड़ी हुई है और वायु मार्ग की बात करें तो यहां आप फ्लाईट के जरिए भी पहुंच सकते है
सड़क मार्गसड़क मार्ग की बात करें तो टिहरी गढ़वाल देश की राजधानी दिल्ली से यह 357  किलोमीटर तथा वहीं यहां देहरादून से यह 147  किलोमीटर है उत्तराखण्ड के रामनगर से  टिहरी गढ़वाल की दूरी  285 किलोमीटर है अब आप के लोकेशन से जो भी शहर नजदीक पड़ता है आप वही से टिहरी गढ़वाल की यात्रा कर सकते है
 
रेल मार्ग– रेल मार्ग की बात करें तो टिहरी गढ़वाल का नियर रेल स्टेशन  ऋषिकेश  है जो कि टिहरी गढ़वाल से  118 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही यह रेल स्टेशन देश की राजधानी दिल्ली के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से 231 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहीं दूसरी ओर यहां रेलवे स्टेशन देहरादून के रेलवे स्टेशन से की दूरी 41 किलोमीटर  पर स्थित है रामनगर रेलवे स्टेशन से की दूरी 188 किलोमीटर है
वायु मार्ग वायु मार्ग की बात करें तो टिहरी गढ़वाल का नियर एयरपोर्ट  जौली ग्रांट है जो कि टिहरी गढ़वाल से 86 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही यह से सभी प्रकार की घरेलू उड़ाने नियमित रूप से चलती रहती हैं.

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