स्वर्ण मंदिर पर्यटक स्थल और इतिहास, Swarn Mandir Ka Itihas

स्वर्ण मंदिर पर्यटक स्थल और इतिहास, Swarn Mandir Ka Itihas
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के नई पोस्ट में इसमें मैं आपको स्वर्ण मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं इस आर्टिकल को अंत तक पड़ेगा क्योंकि इसी आर्टिकल में हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि स्वर्ण मंदिर में देखने लायक क्या क्या है और साथ में स्वर्ण मंदिर के इतिहास के बारे में भी बात करने वाले हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक जरूर पढ़ना,

स्वर्ण मंदिर किस राज्य में है अमृतसर का इतिहास स्वर्ण मंदिर किसने बनवाया स्वर्ण मंदिर पर निबंध अमृतसर की यात्रा अमृतसर कहां है स्वर्ण मंदिर कहां है स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी
स्वर्ण मंदिर के बारे, Swarn Mnadir Ke Baren Main

सनी मंदिर एक ऐसा शब्द है जिसको सुनते ही हमारी आंखों में सोने से बनी एक खूबसूरत मंदिर की छवि अपने आप ही उभर कर आ जाती हैं स्वर्ण मंदिर भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में बसा एक सोने से निर्मित एक मंदिर है जो कि धर्या वालवियों का पावन और धार्मिक स्थल है जिसकी स्थापना सन 1585 से 1604 के मध्य की गई यानी कि पूरे 19 साल के वक्त लेकर इस बहुमूल्य मंदिर का निर्माण किया गया है, इसी गुरु श्री हरगोविंद जी का घर भी बताया जाता है वही कहा जाता है यह गुरुद्वार सिर्फ सौंदर्य की अनूठी मिसाल हैं इसका नक्शा गुरु अर्जुन देव जी ने खुद ही तैयार किया था सुनने मंदिर में प्रवेश के लिए चारों तरफ चारों दिशाओं में चार द्वार हैं इनमें से एक द्वार गुरु रामदास सराय का है और इस सराय में आपको विश्राम स्थल देखने को मिलेगा, जहां 24 घंटे लंगर चलता रहता है स्वर्ण मंदिर सरोवर के बीच में मानव द्वारा निर्मित के गए हैं इस पूरे मंदिर में आपको सोने की परत चढ़ी हुई दिखाई देगी वही मंदिर से 100 मीटर की दूरी पर अकाल तख्त है इसमें भूमिगत और 5 मध्य तल के साथ-साथ एक संग्रहालय और सभागार भी हैं,

स्वर्ण मंदिर की संरचना, Swarn Mandir Ki Sanrachna

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर अपनी कला और शिल्प कला के लिए केवल देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है इस पर की गई डिजाइन और वास्तुकला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं स्वर्ण मंदिर का निर्माण 67 फिट स्क्वायर के क्षेत्रफल में किया गया है जिसमें 40 स्क्वायर ठीक में गुरुद्वार फैला हुआ है गुरुद्वारों की प्रदेश में चारों दिशाओं में दरवाजे हैं और इन्हीं दरवाजो पर की गई है नक्काशी दार आकर्षक डिजाइन, जोकि यहां आए पर्यटकों को काफी पसंद आती हैं स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला हिंदू और मुस्लिम के प्रेम के सामंजस्य को टच प्रकट करती हुई दिखती है शायद यही कारण है कि यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ तकनीकी कलाओं में से एक है

स्वर्ण मंदिर का इतिहास, Swarn Mandir Ka Itihass
स्वर्ण मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि स्वर्ण मंदिर का इतिहास 400 साल से भी ज्यादा पुराना है बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए सीख के चौथे गुरू रामदास साहिब जी ने जमीन दान की थी और सिख के पांचवें गुरु अर्जुन साहिब में इसकी डिजाइन तैयार की थी, 1577 में मंदिर का काम शुरू किया गया और स्वर्ण मंदिर का निर्माण सरोवर के बीचों बीच में किया गया है जिसमें सिख धर्म के ग्रंथों को स्थापित किया गया था स्वर्ण मंदिर की इमारत तीन मंजिला है प्रथम मंजिला की ऊंचाई 26 फिट के आसपास है सन 1604 में स्वर्ण मंदिर का काम पूरा किया गया,

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स्वर्ण मंदिर के रोचक तथ्य, Swarn Mandir Ke Baren Main Rochack Tatya
  • स्वर्ण मंदिर मैं चारों दिशाओं में चार द्वार है जो कि चारों धर्मों को महत्व देती हैं
  • स्वर्ण मंदिर की वास्तुकला मुगल और भारतीय वास्तुकला की मिश्रित हैं
  • स्वर्ण मंदिर का निर्माण पहले पत्थरों और ईटों से किया गया था
  • स्वर्ण मंदिर की सीढ़ियां ऊपर की तरफ नहीं बल्कि नीचे की तरफ जाती है जो कि मनुष्य को नीचे की तरफ झुकना सिखाती है
स्वर्ण मंदिर पर्यटक स्थल, Swarn Mandir Prayatak Isthal

यदि सुनना महल को घूमने की दृष्टि से देखें तो यह वास्तव में देखने लायक और घूमने लायक जगह है क्योंकि इसकी वास्तुकला और डिजाइन इतनी प्रभावशाली और आकर्षक हैं कि हर कोई इसे देखे बिना नहीं रह सकता शायद यही कारण है कि यहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्तों और श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ इकट्ठा होती हैं स्वर्ण मंदिर का दृश्य बड़ा ही हसीन है और स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ ही बसा हुआ है अमृतसर शहर यदि आपको स्वर्ण मंदिर के दृश्य को देखना है तो हम आपको यही कहेंगे कि आप तो रात्रि के समय में सोना मंदिर के दर्शन करें, क्योंकि रात्रि के समय मैं मंदिर का दृश्य बड़ा ही मनोरम दिखाई देता है मंदिर में रंग-बिरंगी लाइटे स्वर्ण मंदिर के दृश्य को रंगीन बना देते हैं मंदिर का पूरा क्षेत्र आसपास का क्षेत्र सुनहरे रंग का दिखाएं देता है जो आंखों में एक ऐसी छवि प्रकट करता है जिसका अनुभव कलम के द्वारा प्रकट करना मुश्किल होगा, दिन के समय में आप यहां सरोवर में स्नान करके गुरुद्वार में माथा टेकने जरूर जाना चाहिए वैसे तो गुरुद्वार में हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र जाती है लेकिन हर वर्ष की तरह गर्मियों के मौसम में यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भीड़ करते देती है लोहरी गुरु नानक जयंती और वैशाखी के दिन और भी कई ऐसे त्योहार और महोत्सव है जब यहां पर्यटकों की भीड़ हजारों की संख्या में देखने को मिलती हैं यदि आप लोग भी अमृतसर की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो आपको अपनी यात्रा प्लान में स्वर्ण मंदिर को जरूर शामिल करना चाहिए इसके अलावा आप यहां आकर आसपास के दार्शनिक स्थलों का भ्रमण भी कर सकते हैं यदि आप अपनी फैमिली के साथ अमृतसर की यात्रा करना चाहते हैं तो काफी अच्छा होगा और नहीं तो आप अपने दोस्तों के साथ भी स्वर्ण मंदिर के दर्शन करना बिल्कुल भी ना भूले,

आपके प्रश्न, Your Question

 
 प्रश्न – स्वर्ण मंदिर कब बना
उत्तर –  स्वर्ण मंदिर का निर्माण कार्य 1585 में शुरू किया गया था तथा 1604 में यह बनकर तैयार हुआ

प्रश्न –  स्वर्ण मंदिर कहां है

उत्तर –  स्वर्ण मंदिर भारत के पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है

प्रश्न –  स्वर्ण मंदिर की स्थापना किसने की

उत्तर –  स्वर्ण मंदिर की स्थापना गुरु राम दास जी ने की,

प्रश्न –  स्वर्ण मंदिर लंगर समय

उत्तर –  स्वर्ण मंदिर में लंगर का समय 24 घंटे लगा रहता है

प्रश्न –  स्वर्ण मंदिर में कितना सोना है

उत्तर – स्वर्ण मंदिर के निर्माण में 15000 किलो सोने का प्रयोग किया गया है.

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