हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आप की नई पोस्ट में इसमें हम बात करने वाले हैं पूर्वी सियांग के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में, वैसे तो पूर्वी सियांग में घूमने लायक बहुत सी जगह है लेकिन आज हम केवल यहां के प्रसिद्ध जगहों के बारे में बात करने वाले हैं साथ ही इसी लेख में हम यहां का स्थानीय खान पान के बारे में भी बात करने वाले हैं
पूर्वी सियांग भारत के प्रसिद्ध राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक पर्वतीय जिला है जिसका मुख्यालय पासीघाट है समुद्र तल से 153 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पूर्वी सियांग पारंपरिक और सांस्कृतिक तौर पर पहचान बनाया हुआ है पूर्वी सियांग एक मशहूर पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है जिले का कुल क्षेत्रफल 4005 किलोमीटर है और जिले की कुल जनसंख्या सन 2011 की जनगणना के अनुसार 99019 है पूर्वी सियांग जिले का इतिहास 1989 से माना जाता है जब यह पश्चिमी सियांग का एक हिस्सा हुआ करता था इसके बाद यह पश्चिमी सियांग से पृथक हुआ और 1999 में एक अलग जिले के रूप में उभर कर सामने आया, भारत की राजधानी दिल्ली से जिला 2409 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यातायात की अच्छी सुविधा होने के कारण आपके यहां आसानी से पहुंच सकते हैं यदि बात की जाए पूर्वी सियांग में बोले जाने वाले भाषा की तो आपको बता दें कि पूर्वी सियाग में मोनपा, मिजी, मिरी और हिंदी भाषा बोली जाती है जीवन यापन करने का मुख्य साधन यहां पर कृषि है कृषि और पशुपालन के माध्यम से ही लोग अपनी आजीविका उत्पन्न किया करते हैं
पूर्वी सियांग की वेशभूषा पहनावा एक सामान्य रूप की हैं एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां के लोग अपनी संस्कृति और रीति रिवाज के हिसाब से ही वस्त्र धारण किया करते हैं इसलिए यह एक अलग ही संस्कृति देखने को मिलती हैं अरुणाचल प्रदेश में महिलाएं और पुरुषों का पहना एक विशिष्ट प्रकार का है सामान्य दिनचर्या में वहां के लोग यहां के पुरुषों का पहनावा एक लूंगी और एक झबला नुमा वस्त्र होता है जो कि उसे वह कमर से ऊपरी भाग पर पहना करते हैं इसके अलावा यहां के लोग वर्ष के महोत्सव और उत्सव पर पूरे अपने वेशभूषा में आते हैं और इसी के साथ ही वहां अपने आकर्षण आभूषणों के साथ सजे धजे होते हैं जिससे वह पूरी तरह पूर्वी सियांग की निवासी लगते हैं
जिस प्रकार से पूर्वी सियांग की संस्कृति और पहनाव खास है ठीक इसी प्रकार से यहां के खाने के व्यंजनों का स्वाद भी अपने आप में कम प्रसिद्ध नहीं है यहां पर जो भोजन का प्रयोग किया जाता है कुछ स्वदेशी और कुछ विदेशी होता है यहां के स्थानीय सामग्री का स्वाद ही कुछ अलग है यहां पर दिन की शुरुआत एक स्वादिष्ट खाने के साथ होती है जिसमें वह खोरा और पोचा का इस्तेमाल किया करते हैं चावल यहां की भोजनों के ब्यंजनो में मुख्य अंग है इसके बिना सभी व्यंजन अधूरे हैं और यहां के चावल भी काफी स्वादिष्ट होते हैं क्योंकि उन्हें एक अलग ही विधि द्वारा पकड़ा जाता है और खुल्लम संस्करण चावल बनाने का एक प्रचलित तरीका है दिन के खाने में यहां पर करी अंडा दाल तड़का और चावल के साथ साथ पीका पीला और थूपका खाना काफी स्वादिष्ट और प्रसिद्ध भी हैं रात्रि के भोजन में यहां पर रोटी सब्जी के अलावा वह वूंग वूत नगम, पिहक ,पाशा और नेक टॉक आदि व्यंजन सम्मिलित हैं
- कोमल घाट
- पोंगिंग हैंगिंग ब्रिज
- डेइंग एरिंग वन्य जीव अभ्यारण
- रणोघाट
- दंगोरिया बाबा मंदिर
पोंगिंग हैंगिंग ब्रिज – यह कौन है लोगों में से एक है जहां जाना हर एक एडवेंचर प्रेमी का प्लान होता है वैसे तो यह जगह इतनी एडवेंचर वाली है नहीं लेकिन कुछ लोग इसे एडवेंचर मानते हैं इसलिए आपको इस स्थान की यात्रा करके बताना है कि क्या यह जगह सच में एडवेंचर वाली है यह जगह बोदक गांव से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पोंगिंग हैंगिंग ब्रिज का निर्माण बोदक गांव में प्रवेश करने के लिए बनाया गया है लेकिन इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और इसका खूबसूरत व्यू पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है और यही कारण है कि यह एक पर्यटक स्थल के रूप में उभरा हुआ है यदि आप भी इस जगह की यात्रा करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं आते हैं आसानी से पहुंच सकते हैं यह जगह सड़क मार्ग के जरिए काफी सरल है इसका निकटतम बस स्टैंड मेबो मुख्य बाजार है यहां से वापस आने से पोंगिंग हैंगिंग ब्रिज के दर्शन कर सकते है
रणोघाट – पूर्वी सियांग प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है इसका जगमगाता उदाहरण आप को रणोघाट मैं देखने को मिल जाएगा, यहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर बस एक खूबसूरत से घर जो कि चारों तरफ से सदाबहार पौधों से ढके हुए हैं इस स्थान को सबसे अलग बनाते हैं यह न केवल स्थानीय लोगों का एक पर्यटक स्थल है बल्कि यह यहां आए पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है पहाड़ों से निकलता हुआ सूरज पेड़ों की टहनियों को चीर कर जब शरीर को छूती मैं तो एक अलग ही आनंद आता है जैसे आप सूर्य उदय और सूर्य अस्त के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं इन दृश्यों को देखने और अपने कैमरे में कैद करने के लिए पर्यटक तो दूर से यहां आते रहते हैं
दंगोरिया बाबा मंदिर – पासीघाट से कुछ ही दूरी पर स्थित दंगोरिया के बाबा का मंदिर स्थानीय लोगों के साथ साथ यहां आए पर्यटकों के लिए एक काफी प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है पूर्वी सियांग के मुख्य मंदिरों में इसका नाम गिना जाता है मंदिर में हर साल एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जोकि दिसंबर महीने के आखिरी शनिवार को मनाया जाता है वैसे तो इस स्थान पर भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन खासतौर पर इस दिन यहां पर काफी भीड़ भाड़ उमड़ कर सामने आती है
दोस्तों पूर्वी सियांग की यात्रा के उपरांत आपके यहां के दार्शनिक स्थलों की सैर करने के बावजूद भी हम आपको कुछ ऐसे कीजिए बता रहे हैं जिन्हें अपनी यात्रा के दौरान कर सकते हैं और हो सकता है यह चीजें करने में भी काफी सस्ती और सरल भी हो सकती हैं और आपको एक बात और बता दें कि यह सारी गतिविधियां समय के अनुकूल परिवर्तित होती रहती हैं
- बाइक सवार
- कैंपिंग
- क्लाइंबिंग
- एडवेंचर
- स्नो स्पोर्ट्स
- पैराग्लाइडिंग
- घुड़सवारी
दोस्तों अभी तक हम पूर्वी सियांग के बारे में जान चुके हैं और वहां के पर्यटक स्थल के बारे में भी जान चुके हैं अब हम यह भी देखेंगे कि यदि हम पूर्वी सियांग में घूमने के लिए जाते हैं तो वहां घूमने का सबसे अच्छा समय कौन-सा होगा , यात्रा का जो सबसे अच्छा समय माना जाता है वह होता है जब सभी लोगों की छुट्टियां होती है यानी कि यदि आप अपने दोस्तों के साथ आना चाहते हैं या परिवार के साथ तो छुट्टियां हो ना जरूरी है चाहे वह स्कूल से हो या नौकरी और बिजनेस से, छुट्टियां प्लान करने के बावजूद यदि बात की जाए सबसे अच्छे समय की तो पूर्वी सियांग में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है सितंबर से फरवरी के बीच दोस्तों यह वह समय होता है जब यहां आपको ठंडा मौसम मिलेगा यदि आपको बर्फ देखनी है तो आप दिसंबर जनवरी में जाकर यात्रा कर सकते हैं और यदि आपको यहां के पर्यटक स्थलों का आनंद अच्छे मौसम में खुल कर लेना है तो आप यहां सितंबर के बाद कभी भी आ सकते हैं,
दोस्तों यात्रा के दौरान आपको पूर्वी सियांग में कुछ दिन रुकना पड़ सकता है इसलिए हम आपकी सुविधा के लिए कुछ ऐसे होटल बता रहे हैं जो आपके बजट में हो सकते हैं और इन्हें आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं उनमें मैं आपको सभी प्रकार की सुविधाएं मिल जाएगी और इन होटलों में रहकर आप पूर्वी सियांग के स्थानीय खानपान का आनंद लेना बिल्कुल भी ना भूलें,
- द सेरेने एडोब पेसिघाट
- होटल पाईंग रीजेंसी
- होटल ओमान
- सरोह होम्स
हरिद्वार में घूमने की जगह, Haridwar Main Ghumne Ki Jagah
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आज की नई पोस्ट में जिसमें हम आपको हरिद्वार में घूमने की जगह के बारे में जानकारी देने वाले हैं इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पड़िएगा, क्योंकि इसी आर्टिकल में हम आपके साथ और भी प्रमुख बातें साझा करने वाले हैं जो आपकी यात्रा के दौरान काम आने वाले हैं
हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य का एक पवित्र और प्राचीन नगरी हैं समुद्र तल से 339 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हरिद्वार हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक हैं हरिद्वार को हर की पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है हरिद्वार तीर्थ स्थल के रूप में बहुत प्रसिद्ध है देश के कोने-कोने से लोगों का आवागमन यहां पर लगा रहता है भक्ति की अपार श्रद्धा इस स्थल को और खास बनाती है हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ हरि मतलब ईश्वर का द्वार होता है हरिद्वार में हर 12 वर्ष के अंतराल में हरदम एक महापुरुष का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी वक्त हरिद्वार पधार कर पूजा करके गंगा नदी में स्नान करते हैं यहां का प्रसिद्ध स्थान हर की पौड़ी है यही आपको गंगा का मंदिर भी देखने को मिलेगा हर की पौड़ी पर लाखों लोग स्नान करते हैं इसके अलावा यहां के और दर्शनीय स्थल है यदि आप हरिद्वार यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो आपको हरिद्वार के साथ-साथ उसके आसपास के घूमने लायक जगह के दर्शन जरूर करनी चाहिए हरिद्वार की प्राकृतिक सुंदरता आपके मन को अंदर से तरोताजा कर देगी, तो चलिए जान लेते हैं हरिद्वार के निकट के दर्शनीय स्थलों के बारे में जहां एक या 2 दिन का समय लेकर हरिद्वार की पवित्र और प्रसिद्ध स्थानों का आनंद लिया जा सकता है,
हरिद्वार के दर्शनीय स्थल, Haridwar Ke Darshniya Ithal
वैष्णो माता मंदिर
हर की पौड़ी
राजाजी नेशनल पार्क
मां चंडी देवी मंदिर
मनसा देवी मंदिर
शांतिकुंज
वैष्णो माता मंदिर – वैष्णो माता का मंदिर उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार शहर में बसा बड़ा ही लोकप्रिय मंदिर और एक पर्यटक स्थल हैं जो कि देवी काली , लक्ष्मी और सरस्वती माता को समर्पित है वैष्णो देवी मंदिर की आधारशिला पर बनाई है मंदिर अपनी लोकप्रियता के लिए प्रसिद्ध है इस मंदिर में पहुंचने का सफर ठीक उसी प्रकार से रहता है जिस तेरा जम्मू कश्मीर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर कहां का है क्योंकि वैष्णो माता मंदिर काटने के लिए भी पर्यटकों भक्तों को वफा एवं स्वयं को सेव कर चलना पड़ता है इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि देवी केवल उन लोगों को ही आशीर्वाद देती है जो केवल सच्चे मन और दिल से आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं यदि आप हरिद्वार आए हैं तो आपको वैष्णो माता मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए आसपास का वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता इस मंदिर का आकर्षण बढ़ाती है वैसे तो इस मंदिर में पर्यटकों की जमकर भीड़ इकट्ठा होती है लेकिन बसंत पंचमी और गंगा दशहर के दिनों में आपको यहां काफी भीड़ देखने को मिल जाती है
हर की पौड़ी – हर की पौड़ी हरिद्वार का केवल एक पर्यटक स्थल ही नहीं है अपितु यह एक है द्वारका पवित्र स्थल भी हैं हरिद्वार के दर्शनीय स्थल में हर की पौड़ी का नाम भी सर्वश्रेष्ठ स्थान पर आता है हर की पौड़ी के बारे में बताया जाता है कि जब समुद्र मंथन के बाद विश्वकर्मा जी अमृत ले जा रहे थे तो बताया जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गई और जहां जहां भी यह अमृत की पवित्र बूंदे गिरी उन्हें धार्मिक स्थल माना गया और उन्हीं में से एक हरिद्वार की हरकी पौड़ी जगह भी हैं जहां अमृत की बूंदे पड़ी यहां पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है यहां श्रद्धालु की इच्छा रहती है कि वह हर की पौड़ी में स्नान करें,
Har ki Pauri, creative Commons, License-(CC BY – SA 3.0) |
राजाजी नेशनल पार्क – राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार का नेशनल ही नहीं है अभी तो यह भारत और देश विदेश से आए पर्यटकों का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है 820 वर्ग में फैला राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड के 3 जिलों में फैला एक मात्र पार्क है इसकी स्थापना सन 1983 को हुई थी यह तीन अभयारण्य से मिलकर बना हुआ है प्राकृतिक सुंदरता और अनेक प्रकार के सुंदर सुंदर चिड़िया, पशु-पक्षी इसके सौंदर्य पर चार चांद लगा देती है भारत में घूमने की बात करें तो यह पाक हर वर्ष 15 नवंबर से 15 जून तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है इस बीच आप यहां आ सकते हैं और 34 किलोमीटर की लंबी जगली सफारी का आनंद ले सकते हैं इस बीच आपको सुंदर घाटियां पहाड़ियों और नदियों की सुंदर और आकर्षक दृश्य देखने को मिल जाते हैं
मां चंडी देवी मंदिर – चंडी देवी मंदिर का नाम भी उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में आता है यहां उत्तराखंड का लोकप्रिय भी हैं जो कि मा चंडी देवी को समर्पित हैं हरिद्वार में नहीं पर्वत की चोटी में बसा यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है जो 52 शक्तिपीठों में से एक है इस मंदिर के निर्माण विषय के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने सन 1929 में की थी और इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य ने 18वीं सदी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा स्थापित की, आसपास के दृश्यों के बारे में बात करें तो चारों तरफ पहाड़ और पहाड़ी की तलहटी पर बहती गंगा नदी और हसीन वादियां इसके दर्शकों हसीन बनाती हैं
chandi devi , creative Commons, License-(CC BY – SA 3.0) |
मनसा देवी मंदिर – मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले का प्रसिद्ध मंदिर है जो देवी मनसा को समर्पित है हर की पौड़ी के पास स्थित यह मंदिर गंगा नदी के किनारे में स्थित हैं मनसा देवी मंदिर को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा की जाती है साथ ही मनसा देवी को नागकन्या और रुद्रांश के नाम से भी जाना जाता है महाभारत के अनुसार मनसा देवी का वास्तविक नाम जरत्वकारु है बताया जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में आकर सच्चे मन और दिल से दुआ करते हैं देवी मनसा उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करती हैं पहाड़ी पर स्थित होने के कारण आसपास का भी बड़ा ही सुंदर और रोमांच भरा दिखाई देता है यदि हरिद्वार का प्लान बना रहे हैं तो आपको मनसा देवी मंदिर जरूर जाना चाहिए,
शांतिकुंज – शांतिकुंज हरिद्वार का जानी-मानी जगह है यह गायत्री परिवार का मुखिया कौन है जिसकी स्थापना 1971 में की गई थी यह एक आश्रम के रूप में भी जाना जाता है जहां विभिन्न प्रकार की शिक्षाओं को प्रदान किए जाने का कार्य किया जाता है शांतिकुंज भारतीय परंपराओं को प्रोत्साहित करने वाला आदर्श केंद्र है
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हरिद्वार घूमने का सही समय, Haridwar Ghumne Ka Sahi Samay
मौसम के अनुकूल आप हरिद्वार घूमने का प्लान सितंबर अक्टूबर में बना सकते हैं क्योंकि इन महीनों में यहां का मौसम सही बना रहता है आम तौर पर देखें तो बरसात और ठंड के महीनों से बच कर आप यहां घूमने का प्लान बना सकते हैं
हरिद्वार में रहने के लिए आश्रम, Hotels In Haridwar
हरिद्वार की यात्रा करने के दौरान आपको कुछ दिन वहां रुकना पड़ेगा मैं आपको कुछ होटल के नाम नीचे दे रहे हैं जहां आपको मोड बहुत सभी सुविधाएं मिल जाएगी आप आराम से वहां रुक कर अपनी यात्रा का लुफ्त उठा सकते हैं,
- रेडिसन ब्लू
- गोल्डन तुलिप
- होटल दा रियो
- गायत्री गेस्ट हाउस
- लक्ष्मण होटल
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