मां कॉलिंका मंदिर (Maa Kalinka Temple)
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग की आज की नई पोस्ट में जिसमें हम आपको मां कालिंका मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं साथ में हम इसी आर्टिकल में यह भी जानेंगे कि मां कालिंका मंदिर क्यों प्रसिद्ध है और कालिंका का मेले का आयोजन किस प्रकार से किया जाता है
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Kalinka Temple, Source – Commons, license under – (CC BY-SA 4.0) |
मां कॉलिंका मंदिर (Maa Kalinka Temple)
मां कालिंका मंदिर उत्तराखंड राज्य की पौड़ी गढ़वाल जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो कि मां काली को समर्पित है यह मंदिर अल्मोड़ा जिले के बॉर्डर के समीप है जो कि गढ़वाल और कुमाऊं की एकता का प्रसिद्ध स्थान भी माना जाता है 2090 मीटर की ऊंचाई में बसा यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है यहां पर हर 3 वर्ष के अंतराल में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जो कि कालिंका मेले के नाम से जाना जाता है जिसमें हजारों की संख्या में यहां पर लोगों की भीड़ एकत्रित होती है बताया जाता है कि जो भी भक्त मां काली के दरबार में सच्चे मन से कामना करते हैं मां काली उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है यह मंदिर जोगीमढ़ी से चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही देखे तो कुमाऊं के सराईखेत बाजार यह मंदिर कुछ ही दूरी पर स्थित है
मां कालिंका मंदिर का इतिहास (History of Kalinka Temple)
मां कालिंका मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है मंदिर के निर्माण विषय में बताया जाता है कि कुछ सालों पहले जब घुमंतू चारवाहा जनजाति इस क्षेत्र के आसपास आए थे तो लोगों के अनुसार घुमंतू चरवाहा जनजाति का एक सदस्य अपनी भेड़ों को रिज पर पाल रहा था और रात्रि के समय में उसे ही बिजली की तेज चमक और आवाज सुनाई दी तो वह पति जाग गया तभी उसके एक तीखी आवाज के साथ एक प्रकाश की चमक देखी जिसने उस व्यक्ति को वहां पर मंदिर बनाने की आज्ञा दी, उस व्यक्ति ने पहाड़ पर चढ़कर कुछ चट्टानों को एक साथ मिलाया जिससे एक टिला का निर्माण हो गया जो कि मां कालिका को समर्पित है इसके बाद सन् 2010 में मंदिर को एक नया रूप दिया गया जिसमें मंदिर का एक नया ढांचा बनकर तैयार हुआ आज के समय में गढ़वाल अल्मोड़ा काली मंदिर विकास समिति इस मंदिर का रखरखाव का कार्य करती है
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Kalinka Temple, Source – Commons, license under – (CC BY-SA 4.0) |
चतुर्भुज मेले का आयोजन ( fair organized)
वैसे तो मां कालिंका मंदिर का दरवाजा भक्तों के लिए हमेशा खुला रहता है लेकिन हर 3 वर्ष के अंतराल में यहां पर भक्ति देने का आयोजन किया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में कलिंका जतोड़ा कहा जाता है यह मेला सर्दियों के समय में आयोजित किया जाता है जिसमें केवल गढ़वाल कुमाऊं की स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि बाहरी लोगों का आगमन भी आपको देखने को मिलेगा इस मेले में सदियों से चली आ रही एक प्रथा है कि इस मेले में बलि प्रथा होती है जिसमें कई जानवरों की बलि दी जाती है हालांकि सरकार के द्वारा इस कदम पर कई बार रोक लगाई गई है लेकिन कुछ हद तक यह हर बार देखने को मिल ही जाता है मेले के दिन आपको यहां काफी भीड़ बार देखने को मिलेगी इस दिन मंदिर में मां कालिंका की पूजा की जाती है और भक्तों द्वारा वहां पर भेंट चढ़ाई जाती है इसके अलावा कहीं भक्तों द्वारा मंदिर के विकास कार्य के लिए दान के रुप में धन-संपत्ति भी दी जाती है मेले का दृश्य आपको काफी सुंदर दिखाई देगा क्योंकि मंदिरों के चारों तरफ आपको ऊंचे ऊंचे पहाड़ देखने को मिलेंगे साथ में मेला सर्दियों में आयोजित किया जाता है उस समय यहां पर काफी मात्रा में आपको भीड़ भी देखने को मिलेगी साथ में स्थानीय लोगों द्वारा यहां पर दुकानें भी लगाई जाती है जिसमें पहाड़ी फल और पहाड़ी दाले और विभिन्न प्रकार के स्थानीय भोजन के व्यंजन भी बनाए जाते हैं
क्यों आना चाहिए मां कालिंका मंदिर में, (Why should come to Maa Kalinka temple)
दोस्तों जो भी भक्त सच्चे मन से मां काली के दरबार में पधार ता है उनकी मनोकामना मां काली जरूर पूर्ण करती हैं इसके अलावा यहां पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है इसलिए आप यहां मेले में भी आ सकते हैं यदि आप सर्दियों के समय में मां काली के दर्शन करते हैं तो यहां स्नोफॉल और बर्फ के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं जिन लोगों को हिमालय पर्वत देखने का शौक है तो बता दे कि जिस पर्वत मैं मां कालिंका मंदिर स्थित है वसंत से आपको हिमालय पर्वत की श्रृंखला भी दिखाई देगी इसके अलावा यदि आपको जंगल ट्रैकिंग पसंद है तो आप यहां पर जंगल ट्रेनिंग भी कर सकते हैं मगर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि यदि आप अकेले हैं तो जंगल की सफारी ना करें क्योंकि हो सकता है कि रास्ते में आपको जंगली जानवर मिल जाए प्राकृतिक सुंदरता की बात की जाए तो आपको बता दें कि मां काली का दरबार बीच जंगल और पहाड़ की चोटी पर स्थित है इसलिए यहां की प्राकृतिक सुंदरता बहुत ही ज्यादा सुंदर है आसपास आपको चीज बांध और देवता के साथ-साथ कई प्रकार के पेड़ पौधे फूल कांटे देखने को मिलेगी यहां से आप कई गांव के शानदार देशों का आनंद ले सकते हैं
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Kalinka Temple, Source – Commons, license under – (CC BY-SA 4.0) |
मां कालिंका मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting facts related to Maa Kalinka temple)
- मां कालिंका मंदिर का निर्माण गढ़वाल कुमाऊं की एकता के लिए किया गया था
- बीरोंखाल ब्लॉक का प्रसिद्ध मंदिर के रूप में जाना जाता है मां कालिंका का मंदिर,
- मां कालिंका मंदिर के दरबार में हर 3 साल में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है
- पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है मां कालिंका मंदिर का नाम,
- बीरोंखाल ब्लॉक के सभी मंदिरों से सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है मां कालिंका का मंदिर ,
कैसे पहुंचे मां कालिंका मंदिर (How to reach Maa Kalinka temple)
मां कालिंका मंदिर पधारने का रास्ता बड़ा ही आसान है लेकिन यहां पर पैदल रास्ता तय करना पड़ सकता है सड़क मार्ग इस मंदिर में पूरी तरीके से जुड़ा हुआ है आप देश के किसी भी कोने से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं यदि आप लोग पौड़ी गढ़वाल होते हुए आते हैं तो आपको कहीं से भी जोगीमढ़ी बाजार पहुंच जाना है यहां से मां कालिंका मंदिर लगभग 5 किलोमीटर है जो कि आपको कुछ पैदल तय करना पड़ सकता है और कुछ आपको वाहन के जरिए भी तय करना पड़ सकता है रास्ता थोड़ा जंगल का है इसलिए थोड़ा संभल कर जाना पड़ता है वहीं यदि आप अल्मोड़ा के साइड से आते हैं तो आपको सबसे पहले कैसे भी सराईखेत बाजार पहुंच जाना है वहां से भी मां कालिंका मंदिर नजदीक है आप वहां से भी आसानी से मां कालिंका की दर्शन कर सकते हैं
दोस्तों यह थी मां कालिंका मंदिर के बारे में लेख जिससे आपको कालिंका मंदिर के बारे में थोड़ा बहुत जानकारी तो मिल ही गई होगी आपको यह ले कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से बताएं और यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी जरूर शेयर करें,