हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आप की नई पोस्ट में इसमें हम बात करने वाले हैं निचला सुबनसिरी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में, वैसे तो निचला सुबनसिरी में घूमने लायक बहुत सी जगह है लेकिन आज हम केवल यहां के प्रसिद्ध जगहों के बारे में बात करने वाले हैं साथ ही इसी लेख में हम यहां का स्थानीय खान पान के बारे में भी बात करने वाले हैं
ziro town, creative Commons, License-(CC BY – SA 3.0) |
निचला सुबनसिरी भारत के पर्वतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है जो की समुद्र तल से 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिले का मुख्यालय जाइरो है और निचला सुबनसिरी जिले का कुल क्षेत्रफल 3460 किलोमीटर है वही जनसंख्या की दृष्टि से यह अरुणाचल प्रदेश बड़े जिलों में गिना जाता है जिले की कुल जनसंख्या सन 2011 की जनगणना के अनुसार 83030 है यदि बात की जाए निचला सुबनसिरी जिले के इतिहास के बारे में तो इतिहास के पन्नों पर नजर डालने पर पता चलता है कि निचला सुबनसिरी और ऊपरी सुबनसिरी जिले पहले सुबनसिरी जिले के भाग थे सन 1987 में सुबनसिरी जिले को विभाजित किया गया जिसके बाद दो अलग-अलग जिले बनकर सामने आए, प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण निचला सुबनसिरी जिला अरुणाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है व्यवसायिक तौर पर यहां के लोग कृषि कार्य करते हैं और अपनी आजीविका उत्पन्न किया करते हैं आय का कुछ भाग पर्यटन से जुड़ा हुआ है वही पारंपरिक और सांस्कृतिक तौर पर भी जिले का नाम काफी प्रसिद्ध है निचला सुबनसिरी के प्रमुख स्थानीय त्योहारों में न्यूकुम और ड्री फेसिटेबल है
निचला सुबनसिरी की वेशभूषा पहनावा एक सामान्य रूप की हैं एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां के लोग अपनी संस्कृति और रीति रिवाज के हिसाब से ही वस्त्र धारण किया करते हैं इसलिए यह एक अलग ही संस्कृति देखने को मिलती हैं अरुणाचल प्रदेश में महिलाएं और पुरुषों का पहना एक विशिष्ट प्रकार का है सामान्य दिनचर्या में वहां के लोग यहां के पुरुषों का पहनावा एक लूंगी और एक झबला नुमा वस्त्र होता है जो कि उसे वह कमर से ऊपरी भाग पर पहना करते हैं इसके अलावा यहां के लोग वर्ष के महोत्सव और उत्सव पर पूरे अपने वेशभूषा में आते हैं और इसी के साथ ही वहां अपने आकर्षण आभूषणों के साथ सजे धजे होते हैं जिससे वह पूरी तरह निचला सुबनसिरी की निवासी लगते हैं
जिस प्रकार से निचला सुबनसिरी की संस्कृति और पहनाव खास है ठीक इसी प्रकार से यहां के खाने के व्यंजनों का स्वाद भी अपने आप में कम प्रसिद्ध नहीं है यहां पर जो भोजन का प्रयोग किया जाता है कुछ स्वदेशी और कुछ विदेशी होता है यहां के स्थानीय सामग्री का स्वाद ही कुछ अलग है यहां पर दिन की शुरुआत एक स्वादिष्ट खाने के साथ होती है जिसमें वह खोरा और पोचा का इस्तेमाल किया करते हैं चावल यहां की भोजनों के ब्यंजनो में मुख्य अंग है इसके बिना सभी व्यंजन अधूरे हैं और यहां के चावल भी काफी स्वादिष्ट होते हैं क्योंकि उन्हें एक अलग ही विधि द्वारा पकड़ा जाता है और खुल्लम संस्करण चावल बनाने का एक प्रचलित तरीका है दिन के खाने में यहां पर करी अंडा दाल तड़का और चावल के साथ साथ पीका पीला और थूपका खाना काफी स्वादिष्ट और प्रसिद्ध भी हैं रात्रि के भोजन में यहां पर रोटी सब्जी के अलावा वह वूंग वूत नगम, पिहक ,पाशा और नेक टॉक आदि व्यंजन सम्मिलित हैं
- काइल पखो
- तारिन मछली फार्म
- टैली घाटी वन्यजीव अभयारण्य
- शिवलिंग
- सिखे लेक
काइल पखो – निचला सुबनसिरी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल की तलाश में हम आपको ले आए हैं काइल पखो मैं, जोकि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बर्फ से ढके पर्वत मालाओं के लिए प्रसिद्ध है ओल्ड जीरो से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काइल पखो प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक और रोमांच भरा दार्शनिक स्थल होने वाला है यदि आप लोग भी निचला सुबनसिरी मैं यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको काइल पखो के दर्शन जरूर करनी चाहिए,
शिवलिंग – निचला सुबनसिरी जिले के कार्दो वन में स्थित सिद्धेश्वर नाथ मंदिर है जोकि भगवान शिव जी और माता पार्वती को समर्पित है आस्था का प्रतीक इस मंदिर के अंदर भगवान शिव जी की एक विशाल शिवलिंग का निर्माण किया गया है इसके ऊपर से गंगा का पानी हमेशा बहता रहता है बताया जाता है कि जल की देवी गंगा भगवान शिव जी के साथ यहां विराजमान है 25 फीट लंबे इस शिवलिंग के दर्शन करने हैं न केवल निचला सुबनसिरी के लोग यहां आया करते हैं बल्कि और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ भारत के कई अन्य राज्यों के लोग भी यहां घूमने के लिए आते हैं कहां जाता है कि यहां पर दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग है
सिखे लेक – सिखे लेक एक मानव निर्मित झील है जोकि हापोली से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीरो घाटी में स्थित है प्रकृति की चाह रखने वाले हर एक पर्यटक के लिए यह एक खूबसूरत और समय व्यतीत करने वाला दार्शनिक स्थल है इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और चारों तरफ खूबसूरत पहाड़ आपको बहुत पसंद आने वाले हैं,
दोस्तों निचला सुबनसिरी की यात्रा के उपरांत आपके यहां के दार्शनिक स्थलों की सैर करने के बावजूद भी हम आपको कुछ ऐसे कीजिए बता रहे हैं जिन्हें अपनी यात्रा के दौरान कर सकते हैं और हो सकता है यह चीजें करने में भी काफी सस्ती और सरल भी हो सकती हैं और आपको एक बात और बता दें कि यह सारी गतिविधियां समय के अनुकूल परिवर्तित होती रहती हैं
- बाइक सवार
- कैंपिंग
- क्लाइंबिंग
- एडवेंचर
- स्नो स्पोर्ट्स
- पैराग्लाइडिंग
- घुड़सवारी
दोस्तों अभी तक हम निचला सुबनसिरी के बारे में जान चुके हैं और वहां के पर्यटक स्थल के बारे में भी जान चुके हैं अब हम यह भी देखेंगे कि यदि हम निचला सुबनसिरी में घूमने के लिए जाते हैं तो वहां घूमने का सबसे अच्छा समय कौन-सा होगा , यात्रा का जो सबसे अच्छा समय माना जाता है वह होता है जब सभी लोगों की छुट्टियां होती है यानी कि यदि आप अपने दोस्तों के साथ आना चाहते हैं या परिवार के साथ तो छुट्टियां हो ना जरूरी है चाहे वह स्कूल से हो या नौकरी और बिजनेस से, छुट्टियां प्लान करने के बावजूद यदि बात की जाए सबसे अच्छे समय की तो निचला सुबनसिरी में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है सितंबर से फरवरी के बीच दोस्तों यह वह समय होता है जब यहां आपको ठंडा मौसम मिलेगा यदि आपको बर्फ देखनी है तो आप दिसंबर जनवरी में जाकर यात्रा कर सकते हैं और यदि आपको यहां के पर्यटक स्थलों का आनंद अच्छे मौसम में खुल कर लेना है तो आप यहां सितंबर के बाद कभी भी आ सकते हैं,
दोस्तों यात्रा के दौरान आपको निचला सुबनसिरी में कुछ दिन रुकना पड़ सकता है इसलिए हम आपकी सुविधा के लिए कुछ ऐसे होटल बता रहे हैं जो आपके बजट में हो सकते हैं और इन्हें आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं उनमें मैं आपको सभी प्रकार की सुविधाएं मिल जाएगी और इन होटलों में रहकर आप निचला सुबनसिरी के स्थानीय खानपान का आनंद लेना बिल्कुल भी ना भूलें,
- सीइरो रिजॉर्ट
- होटल ब्लू पाइन
- जीरो प्लेस आईएनएन
- जिमिन ज़ीरो होटल
- पासा लाथ रिजॉर्ट