हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आप की नई पोस्ट में इसमें हम बात करने वाले हैं लोहित के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में, वैसे तो लोहित में घूमने लायक बहुत सी जगह है लेकिन आज हम केवल यहां के प्रसिद्ध जगहों के बारे में बात करने वाले हैं साथ ही इसी लेख में हम यहां का स्थानीय खान पान के बारे में भी बात करने वाले हैं
लोहित भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जोकि आबादी की दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश का तीसरा बड़ा जिला है अपनी संस्कृति और परंपरा के तौर पर पहचान बनाया हुआ लोहित जिले का कुल क्षेत्रफल लगभग 11402 किलोमीटर के आसपास है यदि बात की जाए लोहित जिले के इतिहास के बारे में तो बता दें कि मध्य युग में लोहित जिला चुटिया साम्राज्य के अधीन मैं था लगभग 19वीं शताब्दी तक चुटिया के अधीन होने के बावजूद जून 1980 में लोहित जिले को दिबांग घाटी से विभाजित किया गया था तबसे लोहित एक अलग जिले के रूप में जाना जाता है रोहित जिले की कुल जनसंख्या सन 2011 की जनगणना के अनुसार 49776 है प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण लोहित जिला न केवल अरुणाचल प्रदेश का एक पर्यटक स्थल है बल्कि भारत के साथ-साथ विदेशों से आए पर्यटकों के लिए यह एक आकर्षण स्थल बना हुआ है लोहित वन्यजीव अभयारण्य का घर बना हुआ है यहां स्थित कमलांग वन्य जीव अभ्यारण काफी प्रसिद्ध है अर्थव्यवस्था के अनुसार जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है और व्यापार के साथ काम करके अपनी आजीविका उत्पन्न किया करते हैं
लोहित की वेशभूषा पहनावा एक सामान्य रूप की हैं एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां के लोग अपनी संस्कृति और रीति रिवाज के हिसाब से ही वस्त्र धारण किया करते हैं इसलिए यह एक अलग ही संस्कृति देखने को मिलती हैं अरुणाचल प्रदेश में महिलाएं और पुरुषों का पहना एक विशिष्ट प्रकार का है सामान्य दिनचर्या में वहां के लोग यहां के पुरुषों का पहनावा एक लूंगी और एक झबला नुमा वस्त्र होता है जो कि उसे वह कमर से ऊपरी भाग पर पहना करते हैं इसके अलावा यहां के लोग वर्ष के महोत्सव और उत्सव पर पूरे अपने वेशभूषा में आते हैं और इसी के साथ ही वहां अपने आकर्षण आभूषणों के साथ सजे धजे होते हैं जिससे वह पूरी तरह लोहित की निवासी लगते हैं
जिस प्रकार से लोहित की संस्कृति और पहनाव खास है ठीक इसी प्रकार से यहां के खाने के व्यंजनों का स्वाद भी अपने आप में कम प्रसिद्ध नहीं है यहां पर जो भोजन का प्रयोग किया जाता है कुछ स्वदेशी और कुछ विदेशी होता है यहां के स्थानीय सामग्री का स्वाद ही कुछ अलग है यहां पर दिन की शुरुआत एक स्वादिष्ट खाने के साथ होती है जिसमें वह खोरा और पोचा का इस्तेमाल किया करते हैं चावल यहां की भोजनों के ब्यंजनो में मुख्य अंग है इसके बिना सभी व्यंजन अधूरे हैं और यहां के चावल भी काफी स्वादिष्ट होते हैं क्योंकि उन्हें एक अलग ही विधि द्वारा पकड़ा जाता है और खुल्लम संस्करण चावल बनाने का एक प्रचलित तरीका है दिन के खाने में यहां पर करी अंडा दाल तड़का और चावल के साथ साथ पीका पीला और थूपका खाना काफी स्वादिष्ट और प्रसिद्ध भी हैं रात्रि के भोजन में यहां पर रोटी सब्जी के अलावा वह वूंग वूत नगम, पिहक ,पाशा और नेक टॉक आदि व्यंजन सम्मिलित हैं
- तेजू
- कमलांग वन्य जीव अभ्यारण
- बुद्धा मंदिर
- डोंग वैली
- परशुराम कुंडी
बुद्धा मंदिर – लोहित के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल की यात्रा करते करते हम आपको ले चलते हैं बुद्ध मंदिर मैं जोकि लोहित जिले के बुद्ध विहार मैं पढ़ता है बुद्ध मंदिर भगवान बुद्ध को समर्पित है इसके आसपास आपको कई अन्य मंदिरों के साथ साथ मट भी देखने को मिल जाते हैं यहां के आसपास का वातावरण पहाड़ों की खूबसूरती के तलहटी में बसे यहां के आकर्षक वास्तुकला से निर्मित इमारतें देखने में बहुत सुंदर लगती है एक शांत वातावरण के साथ श्रद्धा और भक्ति की भावना से जो भी श्रद्धालु हैं सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती हैं
डोंग वैली – खूबसूरत पहाड़ और उनमें बसे खूबसूरत इमारतों के बीच एक अलग ही छवि जो बनकर तैयार होती है वह सच में मन को अंदर से मंत्रमुग्ध कर देती है सुबह सुबह सूरज की पहली किरण के साथ अपने दिन की शुरुआत एक चाय के कप से करना कोई यहां आए पर्यटकों से सीखे, वास्तव में यह जगह प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ सूर्य उदय और सूर्य अस्त की शानदार दृश्यों के लिए प्रसिद्ध मानी जाती हैं प्रकृति की क्लोज होने के कारण आसपास का दृश्य काफी रोमांच और सुनहरा दिखाई देता है
परशुराम कुंडी – लोहित के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल मैं परशुराम कुंडी के दर्शन किए बिना जाना यात्रा अधूरी लगती है दरअसल यह जगह लोहित नदी के आसपास स्थित है जोकि तेजू शहर से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्राकृतिक सुंदरता और शुद्ध वातावरण के अलावा यह जगह एक पूजा स्थल भी है जोकि हिंदू धर्म के देवी-देवताओं मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है आप लोग भी रोहित की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो आपको परशुराम कुंडी के दर्शन जरूर करनी चाहिए
Parshuram, creative Commons, License-(CC BY – SA 4.0) |
दोस्तों लोहित की यात्रा के उपरांत आपके यहां के दार्शनिक स्थलों की सैर करने के बावजूद भी हम आपको कुछ ऐसे कीजिए बता रहे हैं जिन्हें अपनी यात्रा के दौरान कर सकते हैं और हो सकता है यह चीजें करने में भी काफी सस्ती और सरल भी हो सकती हैं और आपको एक बात और बता दें कि यह सारी गतिविधियां समय के अनुकूल परिवर्तित होती रहती हैं
- बाइक सवार
- कैंपिंग
- क्लाइंबिंग
- एडवेंचर
- स्नो स्पोर्ट्स
- पैराग्लाइडिंग
- घुड़सवारी
दोस्तों अभी तक हम लोहित के बारे में जान चुके हैं और वहां के पर्यटक स्थल के बारे में भी जान चुके हैं अब हम यह भी देखेंगे कि यदि हम लोहित में घूमने के लिए जाते हैं तो वहां घूमने का सबसे अच्छा समय कौन-सा होगा , यात्रा का जो सबसे अच्छा समय माना जाता है वह होता है जब सभी लोगों की छुट्टियां होती है यानी कि यदि आप अपने दोस्तों के साथ आना चाहते हैं या परिवार के साथ तो छुट्टियां हो ना जरूरी है चाहे वह स्कूल से हो या नौकरी और बिजनेस से, छुट्टियां प्लान करने के बावजूद यदि बात की जाए सबसे अच्छे समय की तो लोहित में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है सितंबर से फरवरी के बीच दोस्तों यह वह समय होता है जब यहां आपको ठंडा मौसम मिलेगा यदि आपको बर्फ देखनी है तो आप दिसंबर जनवरी में जाकर यात्रा कर सकते हैं और यदि आपको यहां के पर्यटक स्थलों का आनंद अच्छे मौसम में खुल कर लेना है तो आप यहां सितंबर के बाद कभी भी आ सकते हैं,
दोस्तों यात्रा के दौरान आपको लोहित में कुछ दिन रुकना पड़ सकता है इसलिए हम आपकी सुविधा के लिए कुछ ऐसे होटल बता रहे हैं जो आपके बजट में हो सकते हैं और इन्हें आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं उनमें मैं आपको सभी प्रकार की सुविधाएं मिल जाएगी और इन होटलों में रहकर आप लोहित के स्थानीय खानपान का आनंद लेना बिल्कुल भी ना भूलें,
- ओशिन होटल
- होटल ताबोका
- होटल हवाई
- शर्मा होटल एंड रेस्टोरेंट