हेल्लो दोस्तो आज हम बात करने वाले है कोटद्वार के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों की. छुट्टियां पढ़ते ही सब की ख्वाहिश होती है कि कहीं अच्छी जगह जाए जहां छुट्टियों का आनंद ले सके कोटद्वार उत्तराखंड राज्य का शहर है. जो की पौड़ी जिले में आता है कोटद्वार की ऊंचाई समुद्र तल से 455 मीटर है. यहां का मौसम सामान्य बना रहता है. यहां की जलवायु समशीतोष्ण है आसपास के पर्वतों में बर्फ देखने को मिल सकती है लेकिन कोटद्वार में तापमान जीरो डिग्री से कम नहीं होता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने में काफी अच्छी लगती है. शहर के चारों तरफ छोटे-छोटे पर्वत हरियाली लिए मन में एक पॉजिटिव संदेश प्रदान करते हैं. तो चलिए अब जान लेते हैं कोटद्वार के दर्शनीय स्थलों के बारे मैं|
कोटद्वार के दर्शनीय स्थल
- बुद्धा पार्क बुद्धा
- श्री सिद्धबली धाम मंदिर
- शून्य शिखर आश्रम
- सेंट जोसेफ चर्च
- ज्वाला देवी मंदिर
बुद्धा पार्क बुद्धा– पार्क कोटद्वार का सबसे प्रसिद्ध पार्कों में से एक है. जो कि कोटद्वार से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बुद्धा पार्क हफ्ते के सोमवार से शुक्रवार तक खुला रहता है तथा वर्ष के सभी महीनों में यह खुला ही रहता है इस पार्क में बुद्धा जी की 130 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण किया गया है. यह पाक केवल देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से आने वाले पर्यटकों को भी मनोहित करती है पार्क के चारों तरफ छोटे-छोटे पेड़ हैं साथ ही लोगों के बैठने के लिए सीमेंट की सीटों का निर्माण भी किया गया है. लोग काफी मात्रा में यहां पर पधार ते हैं. और इसकी खूबसूरती का आनंद लेते हैं यह केवल छोटे बच्चों का खेलने का स्थान ही नहीं बल्कि बुजुर्गों और सभी जनों के लिए काफी अच्छा है इसी कारण यहां सभी लोग आते जाते रहते हैं |
श्री सिद्धबली धाम मंदिर– कोटद्वार के दर्शनीय स्थानों मैं श्री सिद्धबली धाम मंदिर भी जाना माना मंदिर है यह कोटद्वार से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जोकि खोवा नदी के किनारे में स्थित है पर्वत की चोटी पर एक मंदिर का निर्माण किया गया है. जो कि भगवान हनुमान जी को समर्पित है इस चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 40 मीटर है इस मंदिर में हर साल काफी मात्रा में भक्तों की भीड़ एकत्रित होती हैं कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर से मन्नत मांगता है वह जरूर पूरी होती है इस मंदिर के बारे में बताया गया है कि यहां कड़ी साधना करने के बाद एक बाबा को हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त हुई थी. उसके बाद सिद्ध बाबा जी ने यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा का निर्माण किया था|
शून्य शिखर आश्रम– कोटद्वार के जाने-माने स्थानों में शून्य शिखर का नाम भी सर्वश्रेष्ठ पर आता है शून्य शिखर आश्रम की दूरी कोटद्वार से लगभग 25 किलोमीटर है आसपास चारों तरफ पहाड़ सफेद रंग की चादर ओढ़े मन को शांति प्रदान करते हैं. दरअसल शून्य शिखर आश्रम में अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज का निवास स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि यही वह जगह है जहां सदगुरू सदाफल देव जी ने साधना की थी कहा जाता है कि सदगुरु जी ने ही स्वर वेद की रचना की थी आज भी यहां स्थान आध्यात्मिक शक्ति से ओत-प्रोत है यहां हर साल हिमालय शून्य शिखर आश्रम वार्षिक महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमें लोग काफी मात्रा में पधारकर महोत्सव का आनंद लेते हैं |
सेंट जोसेफ चर्च – सेंट जोसेफ चर्च का नाम एशिया एवं कोटद्वार के टॉप 10 चर्चा में गिना जाता है जोसेफ चर्च कोटद्वार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह चर्च बिशप हाउस हॉस्पिटल के पीछे स्थित है. इस चर्च की ऊंचाई लगभग 18 से 20 फीट है जो काफी ऊंची दिखाई देती है. यह केवल कोई विशेष समुदाय के लोग ही नहीं आते है. बल्की यहां सभी प्रकार के समुदाय के लोग आ सकते हैं इसकी बनावट और आसपास की सुंदरता इतनी अच्छी है. कि जो भी व्यक्ति यहां आता है उसका वापस आने का मन नहीं करता है. और शायद इसीलिए यहां काफी मात्रा में सभी समुदाय के लोग पधारा करते हैं|
ज्वाला देवी मंदिर– गढ़वाल का प्रसिद्ध मंदिर मां जालपा देवी का मंदिर कोटद्वार से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही यह मंदिर पोड़ी से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर सड़क से लगभग 200 मीटर की दूरी पर नयार नदी में स्थित है. आसपास की सुंदरता व शुद्ध वातावरण श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लाती हैं कहा जाता है. कि इस स्थान पर दैत्य राज पुलोम की पुत्री शाची ने देवराज इंद्र को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए ज्वाल्पा धाम हिमालय में मां पार्वती की कड़ी तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर मा पार्वती ने ज्वाल्पा के रूप में दर्शन दिए थे तथा शाची की मनोकामना पूरी की, तब से लेकर आज तक यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ इकट्ठा होकर वहां ज्वालपा देवी के दर्शन किया करती है
कोटद्वार का स्थानीय भोजन Local food of Kotdwar
स्वाद के शौकीन के लिए कोटद्वार का स्थानीय खानपान बड़ा ही अच्छा रहेगा क्योंकि यहां के भोजन की व्यंजनों में जो स्वाद है वह स्वाद आपको और जगह नहीं मिलेग। क्योंकि यहां के लोग हर चीज को वह बड़े ही प्यार से बनाते हैं और इसी स्वाद को शिखर तक पहुंचाते हैं यहां के शुद्ध और घरेलू मसाले और उनके अलावा यहां की शुद्ध सब्जियां , चलो अब देख लेते हैं कि यहां के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन के व्यंजन कौन-कौन से हैं।
झंगोरें की खीर – कोटद्वार के प्रसिद्ध व्यंजन झांगोरें की खीर काफी प्रसिद्ध है यह नॉर्मल खीरे की ही तरह बनता है लेकिन इसमें चावल की जगह यहां का स्थानीय अनाज झांगोरा को मिलाकर बनाया जाता है और यही झंगोरा इसके स्वाद को 4 गुना बढ़ा देता है इसका प्रयोग आप कभी भी कर सकते हैं यदि आप अल्मोड़ा ट्रिप पर है तो आपको इस व्यंजन का स्वाद जरूर लेना चाहिए
भांग की चटनी – भांग की चटनी कोटद्वार की प्रसिद्ध चटनी है इसे भांग को पीसकर बनाया जाता है और यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है यदि इस चटनी में भांग की मात्रा बढ़ा दी जाती है तो इससे नशा भी लगता है क्योंकि भांग नशे के काम भी आता है इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में किया जाता है।पहाड़ी दाल भात – यह व्यंजन उत्तराखंड में पाए जाने वाले पहाड़े दलों को मिलाकर बनाया जाता है तथा इस व्यंजन के साथ नॉर्मल चावल जैसे बनता है वैसे ही बनाया जाता है लेकिन दाल काफी स्वादिष्ट होती है क्योंकि इसमें सभी पहाड़ी दाल मिक्स की होती है।
अरसा – अरसा मुख्य रूप से उत्तराखंड का लोकप्रिय व्यंजन है जिसे लोग शादी के मौसम में बनाते हैं लेकिन कभी-कभी यह हर समय उपलब्ध मिल जाता है दरअसल यह चावल को पीसकर बनाया जाता है और सेम लाइक पकोड़ो की तरह इसे भी तेल में चला जाता है
मंडवे की रोटी – मंडवे कि आटे की रोटी कोटद्वार और आसपास के जिलों का प्रसिद्ध व्यंजन है यह शुद्ध घरेलू मंडुवे के आटे से बनता है जो कि खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है और इससे हमारे शरीर को काफी मात्रा में लाभ प्राप्त होते है।
कंडेली की भुज्जी – कंडेली की भुज्जी उत्तराखंड वासियों का प्रसिद्ध व्यंजन है इसे कंडेली के माध्यम से बनाया जाता है और यह सेम लाइक पालक की भुज्जी की तरह होता है लेकिन स्वाद में यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है यदि मंडुवे की रोटी और कंडेली के भुज्जी को साथ में खाया जाए तो इसके सामने सभी देसी व्यंजन फीके पड़ जाते हैं क्योंकि यह दोनों बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं।
केसे पहुंचे कोटद्वार
यदि आप कोटद्वार की यात्रा करना चाहते हैं तो यह शहर रोड मार्ग, वायु मार्ग, तथा रेल मार्ग, तीनों मार्ग से पूरी तरह कनेक्ट है आप किसी भी मार्ग के जरिए यहां तक पहुंच सकते हैं लोकल क्षेत्र की यात्रा आपको पर्सनल गाड़ी या किसी अन्य साधन के द्वारा करनी होगी|
सड़क मार्ग– यदि सड़क मार्ग के जरिए कोटद्वार पहुंचना चाहते हैं तो यह शहर देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर तथा वही देहरादून से यह शहर 120 किलोमीटर की दूरी पर है साथ ही उत्तराखंड के रामनगर से यह शहर 144 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|
रेल मार्ग – रेल मार्ग से भी कोटद्वार पहुंचा जा सकता है दिल्ली से कोटद्वार के लिए डायरेक्ट ट्रेन है जो कि लगभग 238 किलोमीटर की दूरी तय करती है साथ ही देहरादून से 119 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है |
वायु मार्ग – वायु मार्ग की बात करें तो कोटद्वार नियर एयरपोर्ट जोली ग्रांट है जो की कोटद्वार से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां से आपको सभी प्रदेश की घरेलू उड़ानें मिल जाएगी|