दोस्तों बड़ी ही ख़ुशी के साथ आप सभी लोंगो को अवगत कराया जा रहा है की माँ कालिंका मेला 2022(Kalinka mela 2022) का भव्य मेला का आयोजन के शुभ आरम्भ के लिए माँ कालिंका मंदिर समिति द्वारा अनुमति दे दी गई है। जो की वर्ष 2022 के दिसम्बर माह में होना तय हुवा है । माता मंदिर समिति द्वारा अपने वेबसाइट एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म के द्वारा अवगत कराया गया।कालिंका माता मंदिर का यह भव्य मेला 27 दिसंबर 2022 को होने जा रहा है। इस साल भी माँ कालिंका मेला 2022(Kalinka mela 2022) का भव्य आयोजन होगा जो गढ़वाल एवं कुमाऊं की एकता के रिश्ते को जीवंत रखेगा। दोस्तों आप माता कालिंका मंदिर के बारें में भी इस लेख के माध्यम से पढ़ सकते है। आशा करते है की आपको यह जानकारी पसंद आएगी इसलिए अपने दोस्तों एवं परिवार के साथ साझा करना बिलकुल भी न भूलें।
मां कालिंका मंदिर उत्तराखंड राज्य की पौड़ी गढ़वाल जिले का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जो कि मां काली को समर्पित है। यह मंदिर अल्मोड़ा जिले के बॉर्डर के समीप है जो कि गढ़वाल और कुमाऊं की एकता का प्रसिद्ध स्थान भी माना जाता है। 2090 मीटर की ऊंचाई में बसा यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यहां पर हर 3 वर्ष के अंतराल में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जो कि कालिंका मेले के नाम से जाना जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में यहां पर लोगों की भीड़ एकत्रित होती किवदंती है कि जो भी भक्त मां काली के दरबार में सच्चे मन से कामना करते हैं मां काली उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है। यह मंदिर जोगीमढ़ी से चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है साथ ही देखे तो कुमाऊं के सराईखेत बाजार यह मंदिर कुछ ही दूरी पर स्थित है।
कालिंका मेला 2022 शुरू होने से पहले हम आपको माँ कालिंका मंदिर के इतिहास के बारें में बता देते है। मां कालिंका मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर के निर्माण विषय में बताया जाता है कि कुछ सालों पहले जब घुमंतू चारवाहा जनजाति इस क्षेत्र के आसपास आए थे तो लोगों के अनुसार घुमंतू चरवाहा जनजाति का एक सदस्य अपनी भेड़ों को रिज पर पाल रहा था और रात्रि के समय में उसे ही बिजली की तेज चमक और आवाज सुनाई दी तो वह व्यक्ति जाग गया तभी उसके एक तीखी आवाज के साथ एक प्रकाश की चमक देखी। जिसने उस व्यक्ति को वहां पर मंदिर बनाने की आज्ञा दी। उस व्यक्ति ने पहाड़ पर चढ़कर कुछ चट्टानों को एक साथ मिलाया जिससे एक टिला का निर्माण हो गया जो कि मां कालिका को समर्पित है। इसके बाद सन् 2010 में मंदिर को एक नया रूप दिया गया जिसमें मंदिर का एक नया ढांचा बनकर तैयार हुआ आज के समय में गढ़वाल अल्मोड़ा काली मंदिर विकास समिति इस मंदिर का रखरखाव का कार्य करती है।
दोस्तों जो भी भक्त सच्चे मन से मां काली के दरबार में पधार ता है उनकी मनोकामना मां काली जरूर पूर्ण करती हैं। इसके अलावा यहां पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। इसलिए आप यहां मेले में भी आ सकते हैं यदि आप सर्दियों के समय में मां काली के दर्शन करते हैं तो यहां स्नोफॉल और बर्फ के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। जिन लोगों को हिमालय पर्वत देखने का शौक है तो बता दे कि जिस पर्वत मैं मां कालिंका मंदिर स्थित है वहा से आपको हिमालय पर्वत की श्रृंखला भी दिखाई देगी। इसके अलावा यदि आपको जंगल ट्रैकिंग पसंद है तो आप यहां पर जंगल ट्रेनिंग भी कर सकते हैं। मगर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि यदि आप अकेले हैं तो जंगल की सफारी ना करें क्योंकि हो सकता है कि रास्ते में आपको जंगली जानवर मिल जाए। प्राकृतिक सुंदरता की बात की जाए तो आपको बता दें कि मां काली का दरबार बीच जंगल और पहाड़ की चोटी पर स्थित है। इसलिए यहां की प्राकृतिक सुंदरता बहुत ही ज्यादा सुंदर है। आसपास आपको चीड़ बांज और देवदार के साथ-साथ कई प्रकार के पेड़ पौधे फूल कांटे देखने को मिलते है। यहां से आप कई गांव के शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं ।
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