हेलो दोस्तों आज के पोस्ट में हम लाए हैं आपके लिए उत्तराखंड के एक खूबसूरत जिला देवप्रयाग के बारे में जानकारी देने वाले हैं. इस पोस्ट में हम देवरिया जिले के बारे में जानेंगे और देवप्रयाग के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के बारे में भी बात करने वाले हैं. और साथ में हम इसी पोस्ट में हम देवप्रयाग के स्वादिष्ट स्थानीय खान पान के बारे में भी चर्चा करेंगे तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना|
देवप्रयाग भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का एक खूबसूरत जिला है जो कि अपने आप में एक तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है यहां पर अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम भी होता है समुद्र तल से 15 100 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवप्रयाग एक प्रसिद्ध टूरिस्ट स्थल के रूप में भी जगह बनाया हुआ है देवप्रयाग उत्तराखंड के पंच प्रयाग में से भी एक माना जाता है देवप्रयाग नाम के पीछे बताया जाता है कि एक मान्यता के अनुसार यहां देव वर्मा नामक एक तपस्वी ने कड़ी तपस्या की थी. जिसके कारण उनके नाम के स्थान पर इस जगह को देवप्रयाग कहां जाता है ऋषिकेश से देवप्रयाग 70 किलोमीटर की दूरी पर बसा है. और देवप्रयाग की जनसंख्या सन 2011 की जनगणना के अनुसार 2144 है|
यदि देवप्रयाग के मौसम की बात करें तो आपको बता दें कि देवप्रयाग में साल के अधिक महीनों में यहां पर ठंडा मौसम बना रहता है. और केवल मई और जून के महीने में यहां पर गर्मी महसूस होती है, दिसंबर वर्ष तक सबसे ठंडा महीना होता है. जिस मैं आपको बर्फ के शानदार दृश्य देखने को मिल जाएंगे जबकि मई-जून वर्ष के अधिक गर्मी के महीने होते हैं . इसमें यहां का तापमान 25 से 30 डिग्री के आसपास बना रहता है. जुलाई अगस्त के महीने में मानसून शुरू हो जाती है. जिसके कारण देवप्रयाग वासियों को भारी बारिश का सामना करना पड़ता है|
देवप्रयाग में घूमने लायक जगह की कमी नहीं है इसलिए यदि आप देवप्रयाग की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो आपको इन जगहों को अपनी यात्रा सूची में जरूर शामिल करना चाहिए. और इसके आसपास के प्रसिद्ध दार्शनिक स्थलों के दर्शन जरूर करनी चाहिए|
चंद्र बदानी – चंद्र बदानी एक पहाड़ की चोटी है जो की समुद्र तल से 2277 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यह मंदिर कंडी खल से लगभग 10 किलोमीटर और देवप्रयाग से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मंदिर बहुत छोटा है और यहां कोई मूर्ति ना होने के कारण पत्थर पर ही श्री यंत्र उकेरा गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां सती का धर्म गिरा था और उनके हथियार इधर-उधर बिखर जाने के कारण आज भी बहुत संख्या में लोहे के त्रिशूल और पुरानी पुरानी मूर्तियों को इस मंदिर के चारों पढ़े हुए देखा जा सकता है. इस स्थान की सबसे खास बात यह है कि यहां से आपको शुरू करना और केदारनाथ और बद्रीनाथ की चोटियों का सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं|
अलकनंदा भागीरथी संगम – देवप्रयाग आने पर आपको सबसे अच्छा महसूस कब होगा जब आप अलकनंदा और भागीरथी नदी का संगम अपने खूबसूरत आंखों से देखोगे. पंच प्रयाग में से एक देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदी का आपस में संगम होता है. इस संगम को देखने केवल उत्तराखंड के लोग ही नहीं बल्कि देश-विदेश से पर्यटक इस खूबसूरत संगम को देखने आते हैं और अलकनंदा और भागीरथी के संगम की तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करते हैं. नदी के किनारों से उछलता हुआ पानी और एक खूबसूरत सी आवाज आपको अंदर से मंत्रमुग्ध कर देगी. और इसी खूबसूरती को बढ़ावा देते हैं यहां के आसपास के हरे भरे सुंदर से पहाड़|
रघुनाथ जी मंदिर – रघुनाथ जी का मंदिर देवप्रयाग के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है, इसे तिरुकांतमेनम कड़ी नगर के नाम से भी जाना जाता है. भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर ऋषिकेश से 73 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. मंदिर के निर्माण विषय के बारे में बात करें तो बता दे कि मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में देउला शैली के माध्यम से किया गया है. यह मंदिर अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर ऊपर की ओर स्थित है बताया जाता है. कि रघुनाथ जी ने रावण को मार कर किए गए श्राप से छुटकारा पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी. इसके बाद यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया और आज यहां मंदिर में केवल भारत बल्कि विदेशों से आए पर्यटकों के लिए एक पर्यटक स्थल बना हुआ है|
स्वाद के शौकीन के लिए देवप्रयाग जिले का स्थानीय खानपान बड़ा ही अच्छा रहेगा क्योंकि यहां के भोजन की व्यंजनों में जो स्वाद है. वह स्वाद आपको और जगह नहीं मिलेगा क्योंकि यहां के लोग हर चीज को वह बड़े ही प्यार से बनाते हैं. और इसी स्वाद को सिखा तक पहुंचाते हैं. यहां के शुद्ध और घरेलू मसाले और उनके अलावा यहां की शुद्ध सब्जियां. चलो अब देख लेते हैं कि यहां के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन के व्यंजन कौन-कौन से हैं|
मंडवे की रोटी – मंडवे कि आटे की रोटी देवप्रयाग और आसपास के जिलों का प्रसिद्ध व्यंजन है यह शुद्ध घरेलू मंडुवे के आटे से बनता है. जो कि खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है और इससे हमारे शरीर को काफी मात्रा में लाभ प्राप्त होते हैं|
कंडेली की भुज्जी – कंडेली की भुज्जी उत्तराखंड वासियों का प्रसिद्ध व्यंजन है इसे कंडेली के माध्यम से बनाया जाता है और यह सेम लाइक पालक की भुज्जी की तरह होता है. लेकिन स्वाद में यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है यदि मंडुवे की रोटी और कंडेली के भुज्जी को साथ में खाया जाए तो इसके सामने सभी देसी व्यंजन फीके पड़ जाते हैं क्योंकि यह दोनों बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं|
झंगोरें की खीर – रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध व्यंजन झांगोरें की खीर काफी प्रसिद्ध है. यह नॉर्मल खीरे की ही तरह बनता है लेकिन इसमें चावल की जगह यहां का स्थानीय अनाज जंगूरा को मिलाकर बनाया जाता है और यही झंगोरा इसके स्वाद को 4 गुना बढ़ा देता है. इसका प्रयोग आप कभी भी कर सकते हैं यदि आप देवप्रयाग ट्रिप पर है तो आपको इस व्यंजन का स्वाद जरूर लेना चाहिए|
भांग की चटनी – भांग की चटनी देवप्रयाग की प्रसिद्ध चटनी है. इसे भांग को पीसकर बनाया जाता है. और यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है यदि इस चटनी में भांग की मात्रा बढ़ा दी जाती है तो इससे नशा भी लगता है क्योंकि भांग नशे के काम भी आता है इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में किया जाता है|
पहाड़ी दाल भात – यह व्यंजन उत्तराखंड में पाए जाने वाले पहाड़े दलों को मिलाकर बनाया जाता है तथा इस व्यंजन के साथ नॉर्मल चावल कैसे बनता है वैसे ही बनाया जाता है. लेकिन दाल काफी स्वादिष्ट होती है क्योंकि इसमें सभी पहाड़ी दाल मिक्स की होती है|
अरसा – अरसा मुख्य रूप से उत्तराखंड का लोकप्रिय व्यंजन है जिसे लोग शादी के मौसम में बनाते हैं लेकिन कभी-कभी यह हर समय उपलब्ध मिल जाता है. दरअसल यह चावल को पीसकर बनाया जाता है और सेम लाइक पकोड़ो की तरह इसे भी तेल में तला जाता है|
यदि आपको देवप्रयाग की यात्रा के दौरान आपको कुछ दिन वहां रुकना पड़े तो हम आपकी सुविधा के लिए कुछ सस्ते होटल के नाम बता देते हैं. जिनकी आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. और आपको वहां दैनिक जीवन में काम आने वाले सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाएगी तो आप इन होटलों में रुकना बिल्कुल भी ना भूले|
- राम कुंड रिजॉर्ट
- बी एस आर फर्म्स होमस्टे
- होटल चाकशा गोविंद
- होटल देव
- यदुवंशी शिवा होटल
- मुमुक्षु रिजॉर्ट
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