हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग की आज की नई पोस्ट में जिसमें हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड के उत्तरकाशी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल के बारे में. इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ना क्योंकि इसी पोस्ट में हम आपको यह भी बताने वाले हैं कि उत्तरकाशी का मौसम कैसा रहता है. उत्तरकाशी उत्तराखंड का जिला कब बना और यदि आप उत्तरकाशी में यात्रा करते हैं. तो वहां रुकने के लिए आपको कौन कौन से होटल सबसे अच्छे रहने वाले हैं तो बने रहिए पोस्ट के साथ अंत तक|
उत्तरकाशी भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का एक खूबसूरत जिला है. जो कि अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश विदेश में प्रसिद्ध है. उत्तरकाशी उत्तराखंड का जिला सन 24 फरवरी 1960 को बना और उत्तरकाशी जिले का कुल क्षेत्रफल 8016 वर्ग किलोमीटर है. किले की सबसे अच्छी खासियत है कि यहां पर आपको गंगा नदी और यमुना नदी का संगम देखने को मिल जाएगा इसी के साथ ही यह जिला पर्वतारोहण के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. सन 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 3.5 लाख के आसपास है इसी के साथ ही उत्तरकाशी एक तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है|
यदि उत्तरकाशी के मौसम की बात करें तो आपको बता दें कि उत्तरकाशी में साल के अधिक महीनों में यहां पर ठंडा मौसम बना रहता है. और केवल मई और जून के महीने में यहां पर गर्मी महसूस होती है. दिसंबर वर्ष तक सबसे ठंडा महीना होता है. जिस मैं आपको बर्फ के शानदार दृश्य देखने को मिल जाएंगे जबकि मई-जून वर्ष के अधिक गर्मी के महीने होते हैं. इसमें यहां का तापमान 25 से 30 डिग्री के आसपास बना रहता है. जुलाई अगस्त के महीने में मानसून शुरू हो जाती है जिसके कारण उत्तरकाशी वासियों को भारी बारिश का सामना करना पड़ता है|
- विश्वनाथ मंदिर
- मनेरी बांध
- तपोवन कुटी
- खेदी वाटरफॉल
- नचिकेता ताल झील
- शिवानंद कुटीर
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Image Source By – wikimedia, licence- (CC BY-SA 4.0) |
मनेरी बांध उत्तरकाशी में आए पर्यटकों के लिए एक पर्यटक स्थल है यह एक फोटो फाइंड भी है. और यदि आप अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर आना चाहते हैं. तो यह जगह आपके लिए बहुत खास होने वाली है. क्योंकि यहां आकर आप वाटर स्पोर्ट्स और रिवर राफ्टिंग का आनंद भी ले सकते हैं. यहां न केवल भारत के पर्यटक आते हैं बल्कि विदेशों से आए पर्यटक भी उत्तराखंड में बसे इस खूबसूरत डेम के दर्शन करते हैं|
तपोवन गंगोत्री ग्लेशियर के पास स्थित है और यहां सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक हैं तपोवन हिंदू धर्म में तपस्या की भूमि के रूप में भी जाना जाता है जैसा कि नाम से ही पता चलता है. कि तपस्या की भूमि यानी कि तपोवन , यह एक तपस्या भूमि होने के साथ-साथ देश विदेश से आए पर्यटकों के लिए एक साधना का स्थल भी है इसमें मौजूद हरी हरी घास और शुद्ध वातावरण के साथ चलते हैं कि हवाएं और चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे होने के कारण यहां का भी नजारा काफी सुंदर लगता है|
खेदी वाटरफॉल – यदि आपको वाटरफॉल देखने के साथ साथ और वाटर स्पोर्ट्स और नदी में नहाने का शौक है खेड़ी वाटरफॉल आपके लिए एक अच्छा गंत्तव्य होने वाला है ऋषिकेश से 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खेड़ी वाटरफॉल गंगोत्री और गोमुख के बीच में पड़ता है. चारों तरफ से पहाड़ खूबसूरत वातावरण होने के कारण जो भी लोग इस सड़क मार्ग से गुजरते हैं वह खेदी वाटरफॉल में जरूर विजिट करते हैं. यदि आप उत्तरकाशी की यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो आपको इसी स्थान पर विजय जरूर करना चाहिए. चाहे इसके लिए आप एक दिन अपनी यात्रा का अलग से निकाल लें और इस खूबसूरत झरने का आनंद लेकर यहां की खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करना बिल्कुल भी ना भूलें|
नचिकेता ताल झील – समुद्र तल से 2453 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नचिकेता ताल झील चीड़ और बाँज के पेड़ों से ढका एक पर्वत की श्रृंखला पर बसा एक झील है. जोकि उत्तरकाशी से लगभग 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोकि उत्तरकाशी के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल में से एक है। अपनी ठंडे पानी और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध नचिकेता ताल पर्यटकों का एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यदि आपको जंगल ट्रैकिंग और शुद्ध हवा पानी के साथ बांझ और चीड़ के पेड़ों के शानदार भुजाओं को देखने का आनंद लेना है. तो आपको नचिकेता ताल जेल जरूर विजिट करना चाहिए बताया जाता है. कि इस झील का पानी प्राकृतिक तरीके से यानी कि बांझ जंगल में पाए जाने वाले विभिन्न पेड़ों के द्वारा पानी की पूर्ति की जाती है. बता दे कि यहां पर प्रवेश के लिए ₹10 शुल्क लिया जाता है. जो कि वन विभाग द्वारा इसके रखरखाव के लिए प्रयोग किया जाता है, पर्वत रोही इस स्थान पर आकर ठंडे वातावरण का आनंद लेते हैं|
शिवानंद कुटीर – शिवानंद कुटीर उत्तरकाशी से 8 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक योगा विद्यालय हैं. जहां पर विद्यार्थियों को योगा की शिक्षा दी जाती है. आम तौर पर देखें तो पर्यटकों के लिए यह एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. क्योंकि यहां पर न केवल योगा बल्कि आध्यात्मिक शिक्षा भी जाती है. चारों तरफ बर्फ से ढके पहाड़ और हिमालय के बीच से निकलते सूरज की किरणों की रोशनी में योगा करना कितना अच्छा लगता है. यह सब बातें आपको यहां आकर ही पता चलेगी, यह एक योग्य विद्यालय है जिसमें केवल 35 विद्यार्थियों को एक साथ ट्रेनिंग दी जाती है|
स्वाद के शौकीन के लिए उत्तरकाशी जिले का स्थानीय खानपान बड़ा ही अच्छा रहेगा क्योंकि यहां के भोजन की व्यंजनों में जो स्वाद है. वह स्वाद आपको और जगह नहीं मिलेगा. क्योंकि यहां के लोग हर चीज को वह बड़े ही प्यार से बनाते हैं. और इसी स्वाद को सिखा तक पहुंचाते हैं यहां के शुद्ध और घरेलू मसाले और उनके अलावा यहां की शुद्ध सब्जियां. चलो अब देख लेते हैं कि यहां के प्रसिद्ध स्थानीय भोजन के व्यंजन कौन-कौन से हैं|
मंडवे की रोटी – मंडवे कि आटे की रोटी उत्तरकाशी और आसपास के जिलों का प्रसिद्ध व्यंजन है यह शुद्ध घरेलू मंडुवे के आटे से बनता है. जो कि खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है. और इससे हमारे शरीर को काफी मात्रा में लाभ प्राप्त होते हैं|
कंडेली की भुज्जी – कंडेली की भुज्जी उत्तराखंड वासियों का प्रसिद्ध व्यंजन है इसे कंडेली के माध्यम से बनाया जाता है और यह सेम लाइक पालक की भुज्जी की तरह होता है. लेकिन स्वाद में यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है. यदि मंडुवे की रोटी और कंडेली के भुज्जी को साथ में खाया जाए तो इसके सामने सभी देसी व्यंजन फीके पड़ जाते हैं क्योंकि यह दोनों बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं|
झंगोरें की खीर – उत्तरकाशी के प्रसिद्ध व्यंजन झांगोरें की खीर काफी प्रसिद्ध है यह नॉर्मल खीरे की ही तरह बनता है. लेकिन इसमें चावल की जगह यहां का स्थानीय अनाज जंगूरा को मिलाकर बनाया जाता है और यही झंगोरा इसके स्वाद को 4 गुना बढ़ा देता है इसका प्रयोग आप कभी भी कर सकते हैं. यदि आप देवप्रयाग ट्रिप पर है तो आपको इस व्यंजन का स्वाद जरूर लेना चाहिए|
भांग की चटनी – भांग की चटनी उत्तरकाशी की प्रसिद्ध चटनी है इसे भांग को पीसकर बनाया जाता है और यह बड़ा ही स्वादिष्ट होता है यदि इस चटनी में भांग की मात्रा बढ़ा दी जाती है तो इससे नशा भी लगता है क्योंकि भांग नशे के काम भी आता है इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में किया जाता है|
पहाड़ी दाल भात – यह व्यंजन उत्तराखंड में पाए जाने वाले पहाड़े दलों को मिलाकर बनाया जाता है. तथा इस व्यंजन के साथ नॉर्मल चावल कैसे बनता है वैसे ही बनाया जाता है. लेकिन दाल काफी स्वादिष्ट होती है क्योंकि इसमें सभी पहाड़ी दाल मिक्स की होती है|
अरसा – अरसा मुख्य रूप से उत्तराखंड का लोकप्रिय व्यंजन है जिसे लोग शादी के मौसम में बनाते हैं. लेकिन कभी-कभी यह हर समय उपलब्ध मिल जाता है. दरअसल यह चावल को पीसकर बनाया जाता है और सेम लाइक पकोड़ो की तरह इसे भी तेल में तला जाता है|
दोस्तों यात्रा के दौरान आपको उत्तरकाशी में यदि कुछ दिन रुक ना पड़े तो मैं आपकी सुविधा के लिए कुछ ऐसे होटल्स के नाम दे रहे हैं. जो कि सस्ते भी है और वहां आपको दैनिक जीवन में काम आने वाली सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाएगी और इन होटलों की सबसे अच्छी खासियत यह है कि आप इन्हें ऑनलाइन बुक कर सकते हैं अपनी यात्रा के दौरान|
- होटल ताज हिमालय
- होटल होली व्यू
- श्री हनुमंत रिजॉर्ट
- होटल जीत प्लेस
- होटल के .एन .बी हेरिटेज
- होटल डिवाइन प्लेस