हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आज के नए लेख में जिसमें हम आपको ताड़केश्वर महादेव मंदिर के बारे में (about to tarkeshwar mahadev temple) जानकारी देने वाले हैं। यदि आप यात्रा के लिए किसी अच्छी जगह की तलाश में है जहां पर आप प्रकृति में रहकर धार्मिक स्थलों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना चाहते है । तो आजकल एक आप लोगों के लिए बहुत खास होने वाला है क्योंकि आज हम प्रकृति में बसे एक खूबसूरत सी जगह और एक धार्मिक मंदिर तारकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में आप लोगों को जानकारी देने वाले हैं। इसी लेख के माध्यम से हम आपको ताड़केश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक कहानी एवं तारकेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको आजकल एक जरूर पसंद आएगा।
दोस्तों ताड़केश्वर महादेव मंदिर के बारे में तो हम जान चुके हैं । लेकिन जब भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं तो वह मंदिर में पहुंचने के लिए कई बार रास्ते भटक जाते हैं इसलिए हम आपको ताड़केश्वर महादेव मंदिर कहां स्थित है के बारे में जानकारी बता रहे हैं। तारकेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। पौड़ी गढ़वाल जिले से ज़हरीखाल नामक विकासखंड के अंदर यह प्राचीन मंदिर स्थित है। तारकेश्वर रोड मलारा बारा मार्ग के जरिए जहां तक पहुंचा जा सकता है। बताना चाहेंगे कि ताड़केश्वर महादेव मंदिर कोटद्वार से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा पौड़ी का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लैंसडाउन से 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक सुंदर से वातावरण के साथ पवित्र मंदिर धाम में खूबसूरत रास्ते से प्रवेश किया जाता है।
तारकेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में बहुत से मत एवं पौराणिक कथाओं के साथ स्थानीय मान्यता भी आधारित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ताड़कासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। बताया जाता है कि ताड़कासुर भगवान शिव जी की घोर तपस्या की थी। ताड़कासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी हुए और वरदान मांगने को कहा। ताड़कासुर ने वरदान के रूप में अमरता का वरदान मांगा। लेकिन भगवान शिव ने उन्हे अमरता का वरदान नहीं दिया और अन्य कुछ वरदान मांगने को कहा । तब ताड़कासुर ने भगवान वैराग्य के रूप को देखते हुए वरदान मांगा कि मेरी मृत्यु हो तो सिर्फ आपके पुत्र के द्वारा ही। जबकि यह असंभव था कि भगवान शिव की एक वैराग्य जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन भगवान शिव जी ने ताड़कासुर को वरदान दे दिया । उदर वरदान के मिलते ही ताड़कासुर ने अपना आतंक फैला दिया। आतंक से परेशान होकर देव ऋषियों ने भगवान शिव जी से प्रार्थना की और तारकासुर का अंत करने के लिए कहा।
भगवान शिव जी और माता पार्वती की शादी के बाद उन्हें कार्तिक के रूप में एक पुत्र प्राप्त होता है। भगवान शिव जी के आदेश पर कार्तिकेय ताड़कासुर से विद्युत करने कहां जाते हैं। जिसे देख ताड़कासुर भगवान से क्षमा मांगते है। क्षमा करते हुए भगवान शिव जी ताड़कासुर को वरदान देते हैं कि कलयुग में एक स्थान पर मेरी पूजा तुम्हारे नाम से होगी। इसलिए इस मंदिर का नाम ताड़केश्वर रखा गया जोकि भगवान शिव जी को समर्पित है।
माता लक्ष्मी ने खुदा था कुंड
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर बताया जाता है कि मंदिर परिसर में एक कुंड है जिसको स्वयं माता लक्ष्मी जी खोदा था। आमतौर पर इस कुंड के पवित्र जल का उपयोग शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए किया जाता है। वैसे तो यहां पर है हजारों की संख्या में श्रद्धालु आया करते हैं लेकिन खासतौर पर शिवरात्रि के दिन स्थानीय लोगों के द्वारा यहां पर जमकर भी इकट्ठा होती है ।इसीलिए तो यह मंदिर पौड़ी के प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
दोस्तों आस्था और भक्ति भावना से परिपूर्ण यह मंदिर पहाड़ी का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होने के कारण पर्यटकों की भीड़ देखने को मिल जाती है। इसके साथ ही यहां आने वाले पर्यटक देवदार एवं चीड़ के पेड़ की छाया में बैठकर सुकून से कुछ पल बिताया करते हैं। जंगल ट्रैकिंग दोस्तों के साथ पिकनिक के लिए इसके आसपास की जगह बहुत अच्छी है। मंदिर में पिकनिक मनाने के उद्देश्य से प्रस्थान नहीं कर सकते।
दोस्तों यदि आपको यह लेख पसंद आया है और यदि आप ताड़केश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं । तो हम आपको यह बता देते हैं कि आप किस तरीके से तारकेश्वर महादेव मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से – दोस्तों सड़क मार्ग के माध्यम से तारकेश्वर महादेव मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। देश की राजधानी दिल्ली से तारकेश्वर महादेव मंदिर 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वही लैंसडाउन से यहां 40 किलोमीटर की दूरी है स्थित है। आप अपने नजदीकी शहर से लैंसडाउन एवं कोटद्वार शहर तक पहुंच सकते हैं उसके बाद आप तारकेश्वर महादेव मंदिर में आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेलगाड़ी से – नजदीकी रेलवे की बात करें तो परसों महादेव मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार है। वहां से फिर आप लोकल टैक्सी एवं प्राइवेट बस के माध्यम से मंदिर के पावन धाम तक पहुंच सकते हैं जो कि मात्र 40 किलोमीटर रहता है।
हवाई मार्ग – आप लोगों फ्लाइट के जरिए तारकेश्वर मंदिर के दर्शन करने की सोच रहे हैं तो आपको बताना चाहेंगे कि मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट एयरपोर्ट है । जोकि मंदिर से 190 किलोमीटर की दूरी पर एवं लैंसडाउन से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख ताड़केश्वर महादेव मंदिर के बारे में। आशा करते हैं कि आप को आज का लेख जरूर पसंद आया होगा यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो आप इस जानकारी को अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ भी साझा कर सकते हैं एवं इस लेख के सुधार सुझाव के लिए आप हमें कमेंट के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
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