आयुर्वेद की पांच अतुल्य पेड़ एवं जड़ी बूटियां . 5 best jadi butiya

आयुर्वेद की पांच अतुल्य पेड़ एवं जड़ी बूटियां जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे
हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग के आज की नई पोस्ट में जिसमें हम  उत्तराखंड में पाए जाने वाले मुख्य औषधीय पौधों के बारे जानकारी आपके साथ साझा करने वाले , साथ ही इसी आर्टिकल  में हम यह भी जानेंगे की उन महत्वपूर्ण औषधियों का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में केसे कर सकते है आई होप की इस पोस्ट को पड़ने के बाद आप इन जड़ी बूटियों को आसानी से पहचान पाएंगे एवं उनका प्रयोग कैसे करना है यह चीज अच्छे से समझ पाएंगे|
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Bahera ,Source – commons licence under

(CC BY-SA 2.0)

कुस्ट या कूठ
 
उत्तराखंड के पहाड़ों में पाए जाने वाला यह पौधा सौससुरिया लेप के नाम से वैज्ञानिकों द्वारा पहचाना गया है  उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में इसकी खेती होती है इसके पुष्प एक से डेढ़ इंच गोल गुच्छे दार गहरे नीले बैंगनी रंग के काले होते हैं इसकी जड़ काली बदामी गंध युक्त तथा मजबूत होती है चलिए बात करते हैं इसके उपयोग एवं फायदे की|
उपयोग
  1. इस मूल का उपयोग मोटापा कम करने में किया जाता है .
  2. घावों इसकी मल हम का उपयोग किया जाता है सिर पर फोड़े फुंसी में इसके चूर्ण को खपरैल में भूनकर तेल के साथ लगाया जाता है.
  3. सिर के बालों को धोने तथा काले करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है
  4. यह हृदय को बल प्रदान करता है.
  5. हाथ पैरों की सूजन सिर दर्द तथा मौच में इसे गुलाब जल के साथ प्रयोग करते हैं.
चित्रक या चित्रा
 
सामान्य रूप से यह पौधा 2 से 5 फुट तक ऊंचा होता है यह देश के सभी प्रांतों में पाया जाता है इसे वैज्ञानिक तौर पर प्लंबागो ज़यलनिक्स के नाम से भी जाना जाता है इसके कांड पर लंबाई मैं धारियां होती है इसके पत्ते 1 से 5 इंच तक लंबे अंडाकार नोकदार चिकने एवं कोमल होते हैं इस पर स्वेता एवं रक्त वर्ण के पुष्प होते हैं इसके फल गोल लंबे सूक्ष्म तथा चिपचपे रोवो से युक्त होते हैं इसकी जड़े काल एवं भूरे रंग की होती है चली गई अब बात कर लेते हैं इसके फायदे की|
उपयोग
  1. इसका प्रयोग भूख बढ़ाने खाना पचाने तथा अतिसार में करते हैं.
  2. बादी सुखे अर्श में इसे दही के साथ सेवन करते हैं.
  3. इसके छार का प्रयोग यकृत एवं प्लीहा वृद्धि में मट्ठे के साथ करते हैं.
वाचा या बच
वर्ष के 12 महीने में खीलने वाला यह पौधा दो से चार फीट तक ऊंची होती है विशेषकर जलयुक्त स्थानों पर जैसे मणिपुर ,कश्मीर आदि पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है इसके पत्र तलवार सदृश होते हैं प्रत्येक गांठ के चारों और सदन रोवे होते हैं और पुष्प  सदन मंजारियों में होता है.

उपयोग 
  1. इसका उपयोग हिस्टीरिया में किया जाता है इसके सेवन से धारणा सक्ती बढ़ती है इसको शहद एवं दूध के साथ प्रयोग करते हैं.
  2. स्मरण शक्ति के हराश तथा वाणी की जड़ता में इसका प्रयोग किया जाता है.
  3. सर्दी खांसी गले में सूजन तथा बच्चों के दांत निकलते समय इसका प्रयोग करते हैं.
कपूर कचरी
इसका वैज्ञानिक नाम हेडायचियम सपिकैटम है इसके पौधे भारत के अनेक भागों में पाए जाते हैं इसके पत्र हल्दी पत्र के समान होते हैं पौधे के मूल में आमा हल्दी जैसे कंद होते हैं जिसका औषधि के रूप में प्रयोग होता है इसमें सुगंध होती है इसीलिए इसे गंदमूल भी कहते हैं चलिए इसे उपयोग के बारे में जानते हैं.

उपयोग
  1. इसका उपयोग खांसी एवं गले की खराश दूर करने में किया जाता है गायक से आवाज साफ करने के लिए चूसते हैं.
  2. इस के ताजे कंधों का पार्क प्रसूता स्त्रियों के लिए पौष्टिक होता है.
  3. जलोदर (पेट में पानी होना )मैं इसके पत्तों का रस पिलाया जाता है.
  4. मौच में इस को पीसकर फिटकरी के साथ मिलाकर प्रयोग करते हैं.
विभीतक  या बहेड़ा 
 
इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनलों बेलेरिका है यह विशाल पोधा 60 – 100 फीट तक ऊंचा होता है यह सभी प्रांतों में प्राय निचली पहाड़ियों पर अधिक पाया जाता है इसकी छाल कालापन या नीला रंग की है इसका फल 1 इंच लंबा गोल एवं अंडाकार होता है|

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(CC BY-SA 2.0)

उपयोग
  1. बहेड़ा चूर्ण शहद के साथ देने पर स्वास कास रोगों में लाभ दायक होता है.
  2. इसका का प्रयोग गले के रोग स्वर, भंग उदर रोग ,कुष्ठ आदि में किया जाता है.
तुलसी
 तुलसी एक औषधीय पौधा है जो लगभग सभी के घरों में पाया जाता है इसे हम प्रकृति के द्वारा एक वरदान भी कह सकते हैं क्योंकि इसमें तमाम प्रकार के ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की कई बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैक्टम है और इसे अन्य देशों में बहुत सारे नामों से भी जाना जाता है.

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 उपयोग 
  1. चाय बनाते समय सर्दी, जुकाम और खांसी से बचाव के लिए भी तुलसी का उपयोग किया जाता है.
  2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी तुलसी के रस का प्रयोग सेवन मेंलिया जाता है.
  3. कई औषधि के निर्माण में औषधालयों  मैं तुलसी का प्रयोग किया जाता है.
  4. सब्जी मैं भी आप दो पत्ते तुलसी के डाल कर उससे मिलने वाले फायदों को बढ़ा सकते है.
एलोवेरा 
एलोवेरा भी एक प्रकृति के द्वारा दिया हुआ वरदान है जिसे हम कई तरीके से प्रयोग कर सकते हैं और लगभग यह भारत के सभी राज्यों में  पाया जाता है इसका सेवन तमाम प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता है और इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं इसका वैज्ञानिक नाम घृतकुमारी है और हिंदी मैं इसे एलोवेरा के नाम से ही जाना जाता है.

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उपयोग
  1. एलोवेरा का एक उपयोग यह भी है कि यह रक्त में शुगर लेवल को नियंत्रित करता है.
  2. चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए भी एलोवेरा का प्रयोग किया जाता है इसके लिए आप एलोवेरा के रस को अपने चेहरे पर ले की तरह लगा सकते हैं.
  3. एलोवेरा हमारे शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है इससे की छोटी मोटी बीमारी हम पर जल्दी अटैक नहीं करती है.
  4. पेट के कब्ज से परेशान व्यक्ति भी एलोवेरा का प्रयोग कर सकते हैं इसके लिए वह एलोवेरा के पत्तों का प्रयोग में ला सकते हैं.
हल्दी 
हल्दी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है क्योंकि यह न केवल हमारे खाने को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि यह हमारे शरीर को भी कई फायदे प्रदान करता है हिंदी में ऐसे हल्दी के नाम से जाना चाहता है और इसका वैज्ञानिक नाम करकुमा लौंगा है और इसमें कई प्रकार के महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं|

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उपयोग 
  1. खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी दाल और सब्जियों में हल्दी का उपयोग किया जाता है.
  2. चाय के साथ भी हल्दी पाउडर का प्रयोग किया जाता है यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है.
  3. चेहरे की चमक बढ़ाने के लिए भी अन्य तत्वों के साथ हल्दी का उपयोग भी किया जाता है.
  4. रात को सोते समय दूध में हल्दी का उपयोग किया जाता है इससे  दिनभर की थकावट और रात को नींद अच्छी आती है.

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